गोरखपुर विश्‍वविद्यालय के छात्र बिना परीक्षा दिए होंगे पास, निर्णय 20 मई को

बिना परीक्षा कराएं विद्यार्थियों को अगले कक्षा में प्रमोट किए जाने का फैसला किया है। इस संबंध में दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय 20 मई को निर्णय लेने का फैसला किया है।

Update: 2021-05-15 04:58 GMT

गोरखपुर: कोरोना महामारी में कुछ विश्वविद्यालयों ने परीक्षा न कराने का निर्णय लिया है। बिना परीक्षा कराएं विद्यार्थियों को अगले कक्षा में प्रमोट किए जाने का फैसला किया है। इस संबंध में दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय 20 मई को निर्णय लेने का फैसला किया है।

ऐसी दशा में दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों बेचैनी बढ़ गई है। पिछले वर्ष की भांति इस बार भी अंतिम वर्ष की परीक्षा और बाकी को प्रमोट करने का निर्णय होता है। तो द्वितीय वर्ष के छात्र बिना परीक्षा के ही अंतिम वर्ष में पहुंच जाएंगे। ऐसे में उनके पूरे स्नातक की पढ़ाई का मूल्यांकन अंतिम वर्ष के अंक के आधार पर होगा। यदि अंतिम वर्ष में किसी कारण अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाते हैं, तो उनका पूरे तीन वर्ष का परिणाम खराब हो सकता है। ऐसी दशा में अंतिम वर्ष परीक्षा में करो या मरो की स्थिति रहेगी।

कोरोना महामारी की वजह से लगने लगा है कि विश्वविद्यालय की परीक्षाएं इस वर्ष भी नहीं होंगी क्योंकि परिस्थितियां पिछले वर्ष से भी बदतर हैं। पिछले वर्ष यूजीसी ने विद्यार्थियों को प्रमोट किए जाने का निर्णय लिया था। यूजीसी ने विश्वविद्यालय को बाकायदा निर्देशित किया था। इस वर्ष यूजीसी ने निर्णय विश्वविद्यालय प्रशासन पर छोड़ दिया है।

विद्यार्थी विश्वविद्यालय प्रशासन से इसे लेकर जल्द निर्णय लेने की मांग कर रहे हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस विषय में 20 मई को निर्णय लेने का फैसला किया है। जिससे अनिश्चितता की स्थिति दूर हो सके। विद्यार्थी भविष्य को लेकर कोई पुख्ता तैयारी कर सकें। उम्‍मीद है कि इस बार भी विश्वविद्यालय प्रशासन बिना परीक्षा

कराए ही छात्रों को पास कर दे। परीक्षा कराने को लेकर सबसे ज्यादा परेशान स्नातक द्वितीय वर्ष के विद्यार्थी हैं। उनका कहना है कि अगर बीते वर्ष की तरह इस बार भी अंतिम वर्ष की परीक्षा और बाकी को प्रमोट करने का निर्णय होता है। तो ऐसी दशा में वह बिना परीक्षा के ही अंतिम वर्ष में पहुंच जाएंगे। ऐसे में उनके पूरे स्नातक की पढ़ाई का मूल्यांकन अंतिम वर्ष के अंक के आधार पर होगा। अंतिम वर्ष में वह किसी कारण से बेहतर प्रदर्शन नहीं कर सके, तो उनका पूरे तीन वर्ष का परिणाम खराब हो जाएगा। ऐसे में अंतिम वर्ष परीक्षा में करो या मरो की स्थिति रहेगी।

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