अयोध्या। पांच अगस्त बुधवार को रामजन्मभूमि का नया इतिहास लिखा गया। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने निर्धारित मुहूर्त पर अष्ट उपशिला समेत मुख्य कूर्म शिला का पूजन किया। उन्होंने यजमान के रुप चालीस मिनट अनुष्ठान में बैठकर श्रद्धा भाव से भूमि पूजन किया। इसके बाद भूमि को नमन कर नींव की रज से तिलक लगाया। इसी के साथ राम मंदिर निर्माण का कार्य आरम्भ हो गया।
रामजन्मभूमि में बहुप्रतीक्षित मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन के बाद सभी वैदिक आचार्यों ने मंत्रात्मक आर्शीवाद यजमान रुपी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को प्रदान किया। वैदिक आचार्य ने कहा कि यज्ञ पुरुष और दक्षिणा पत्नी है। दोनों के मिलन पर ही फल रुपी पुत्र की प्राप्ति होती है। फिर प्रधानमंत्री रुपी यजमान मिलना सामान्य बात नहीं। वैदिक आचार्य के कथन से मंद-मंद मुस्कुराते हुए गुप्त दक्षिणा प्रदान की। इस बीच नौ पूजित शिलाओं को रखवाने का निर्धारित क्रम नंदा, अजिता, अपराजिता,भद्रा, रिक्ता, जया, शुक्ला, पूर्णा व सौभाग्यनी था।
इसके पहले हेलीपैड से उतर कर प्रधानमंत्री सीधे हनुमानगढ़ी पहुंचे और उन्होंने बजरंगबली की आरती पूजा कर उनकी विशेष अनुमति ली। इसके बाद वहां से लौटकर रामजन्मभूमि के ऐतिहासिक परिसर में प्रवेश किया और रामलला के समक्ष पहुंचते ही उनके चरणों में लेटकर साष्टांग दंडवत किया और भावुक होकर कुछ क्षण तक शांत पड़े रहे। फिर वह ऊपर उठे और गर्भगृह में जाकर रामलला को पुष्पाहार भेंट किया। साथ ही उनके अनुजों का भी पुष्पार्चन किया और फिर आरती भी उतारी। पुन: परिक्रमा कर भूमि पूजन के मौलिक कर्म के लिए प्रस्थान कर गए। इस मौके पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी साथ थे। रामलला के नये भवन से मूल घर तक की दूरी प्रधानमंत्री ने कार से ही तय की।
भूमि पूजन के पंडाल में पहुंच कर प्रधानमंत्री हाथों को सैनिटाइज करना नहीं भूले। फिर वह अनुष्ठान के लिए मंदिर के गर्भगृह स्थल पर उत्खनित वेदी के समक्ष आसन पर विराजे। भूमि पूजन का अनुष्ठान राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के कोषाध्यक्ष महंत गोविंद देव गिरि के निर्देशन में कांची कामकोटि के दक्षिणात्य आचार्य सेनापति शास्त्री व उनके सहयोगियों ने पूर्ण कराया। प्रधानमंत्री मोदी ने यजमान की तरह श्रद्धापूर्वक वैदिक आचार्य के सभी निर्देशों का अक्षरश: पालन करते हुए पूजन की हर विधि पूर्ण की। सबसे पहले प्रधानमंत्री का आचमन से शुद्धिकरण कराया गया। पुन: गणपति पूजन के साथ संकल्प कराया गया। फिर पृथ्वी, वाराह देव व शेषावतार की पूजा हुई। इसके बाद नौ शिलाओं का क्रमवार पूजन कराया जिसमे पहले अष्ट उपशिला फिर मुख्य कूर्मशिला का पूजन निर्धारित मुहूर्त अपराह्न 12 बजकर 44 मिनट आठ सेंकेड में कर पुष्पांजलि की गई। पूजन की सर्वविधि मुहूर्त से चार मिनट पहले पूर्ण हो गयी थी। इसके वैदिक आचार्य ने भगवान के षडाक्षरी मंत्र के रुप में श्रीराम जय राम जय जय राम का संकीर्तन भी कराया। इसके बाद श्रीसूक्त के षोडश मंत्रों से पुष्पार्चन कराया गया।
विराजमान रामलला के गर्भगृह के उत्खनित वेदी में भूमि पूजन के साथ पूजित शिलाओं के साथ बकुल की दुर्लभ काष्ठ से निर्मित शंखाकार कलश, पंचधातु से निर्मित नौ रत्न जड़ित पुष्प कमलदल, विभिन्न तीर्थों के रज के अलावा जल से परिपूर्ण ताम्र कलश व तीन गुणा दो फिट के आकार में निर्मित ताम्र पत्र भी रखा गया। यह सभी सामग्रियां रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से कांची कामकोटि शंकराचार्य स्वामी ज्येन्द्र सरस्वती के माध्यम से भेजी गयी थी। भूमि पूजन के मुख्य अतिथि रुप में आए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी अपनी ओर से लाई भेंट को नींव की वेदी में पूजन के साथ रखा। इस मौके पर संघ प्रमुख मोहन भागवत, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व राज्यपाल आनंदी बेन पटेल व अशोक सिंहल के भतीजे सलिल सिंहल ने भी भेंट समर्पित की।