प्रथम ट्रेन झांसी-इलाहाबाद ट्रेन का पूजन कर किया स्वागत

अतर्रा कस्बे में परंपरागत तरीके से किया गया स्वागत

Update: 2021-12-25 13:19 GMT

बांदा। अतर्रा में सैकड़ो वर्ष पुरानी बिटिश काल से ट्रेन पूजन की ऐसी परंपरा बड़ा दिन को जारी है। जो अन्य कहीं देखने को नहीं दिखती है। कस्बे व क्षेत्रवासियो ने नगर में चली प्रथम ट्रेन झांसी-इलाहाबाद (प्रयागराज) ट्रेन का पूजन कर माला-फूल इंजन सहित चालक आरिफ खान, गार्ड व स्टेशन अधीक्षक आरपी मिश्रा को माला पहना मुंह मीठा कराया।

कस्बे में ब्रिटिश काल के दौरान स्टेशन में प्रथम गाड़ी के रूप में झांसी-मानिकपुर पैसेजर ट्रेन अतर्रा आई थी। उस समय स्टेशन की समीप सुदामापुरी निवासी बिंदाप्रसाद खेंगर (भोलेबाबा) के नेतृत्व में सैकड़ों लोगों ने फूलमाला पहनाया था। ट्रेन के प्रति उनकी इतनी आस्था जगी कि बड़े दिन के दिन शुरू हुयी इस ट्रेन को हर वर्ष पूजते रहे। जब तक बिंदाबाबा जीवित रहे। उन्होने स्वयं कस्बेवासियों के साथ मिल ट्रेन पूजन की अगुवाई की।उसके बाद उनके पौत्रो ने जिम्मेदारी संभाल लिया।

शनिवार दोपहर एक बजे जैसे ही ट्रेन स्टेशन पहुंची। उनके नाती रामजी खेंगर के साथ किशोरीलाल खेंगर, रामबाबू कुशवाहा, विक्रम सिंह ब्रजेश, त्रिभुवन, राजेंद्र चौरसिया, जगदीश गुप्ता, कैलाशनाथ बाजपेयी सहित अन्य लोगों ने ट्रेन की पूजा-अर्चना कर फूल-माला पहनाया। स्वागत से गदगद ट्रेन के चालक व गार्ड ने बताया कि नौकरी के दौरान अन्य कही ट्रेन का ऐसा स्वागत नही देखा है। बल्कि इतना जरूर है कि इसके पूर्व भी अतर्रा में दो तीन बार स्वागत प्राप्त कर चुके है।

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