अम्बेडकरनगर: प्रशासनिक रोक के चलते प्राइवेट मरीजों के ऑक्सीजन पर ग्रहण
अम्बेडकरनगर के अलावा बस्ती, सुल्तानपुर, अयोध्या, जौनपुर और आजमगढ़ को भी ऑक्सीजन की आपूर्ति यहीं से होती रही। सरकारी अस्पतालों के साथ-साथ व्यक्तिगत लोगों को भी ऑक्सीजन आसानी से मुहैया हो जाता था।
अम्बेडकरनगर: टूटती साँसों की डोर की मजबूती का एक मात्र सहारा ऑक्सीजन ही रह गया है। उस पर भी प्रशासन का तुगलकी फरमान तमाम मरीजों के लिए मुसीबत बन गया है। नतीजा यह है कि होम आइसोलेट और निजी अस्पतालों के मरीजों को ऑक्सीजन के लाले पड़ गए हैं।
उल्लेखनीय है कि टाण्डा में स्थित जिले के एक मात्र ऑक्सीजन रिफलिंग सेंटर (विश्वकर्मा ऑक्सीजन डिस्ट्रीब्यूटर) से जिला प्रशासन द्वारा लगाए गए राजस्व कर्मियों की देख रेख में ऑक्सीजन सिलेंडर के रिफलिंग का कार्य जारी था। अम्बेडकरनगर के अलावा बस्ती, सुल्तानपुर, अयोध्या, जौनपुर और आजमगढ़ को भी ऑक्सीजन की आपूर्ति यहीं से होती रही। सरकारी अस्पतालों के साथ-साथ व्यक्तिगत लोगों को भी ऑक्सीजन आसानी से मुहैया हो जाता था।
ऐसी परिस्थिति में जब सरकारी अस्पतालों में जगह नहीं है, घर पर आइसोलेट या फिर निजी अस्पतालों में भर्ती लोगों सांसो की डोर पर खतरा खड़ा हो गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि स्थानीय प्रशासन ने रविवार से निजी स्तर पर ऑक्सीजन सिलेंडर के रिफलिंग पर यह कह कर रोक लगवा दिया कि अब जो स्टॉक है वह केवल जिला अस्पताल, मेडिकल कालेज और कोविड सेंटर के लिए है। किसी निजी व्यक्ति को ऑक्सीजन नहीं दिया जाएगा। जिसके बाद हाहाकार मच गया है।
आरोप है कि प्रशासन के इस तुगलकी फरमान के बाद वहां मौजूद पुलिस और राजस्व कर्मी घंटो से लाइन में खड़े लोगों को सिलेंडर न देने की बात कहकर भगा दे रहे है। दूसरी तरफ स्थानीय प्रशासन ने तहसील में एक काउंटर खोलकर ऑक्सीजन के लिए टोकन व्यवस्था लागू कर दी है। इस व्यवस्था से भी लोग संतुष्ट नहीं हैं क्योंकि उनको अब दोहरी मार पड़ने लगी है।