बहराइच: परिवार के लिए वरदान बन गई डॉक्टर बहनें
माता पिता और बाबा की सेवा करती हुई दो डॉक्टर बहने भी कोरोना पॉजिटिव हो गई। लेकिन दोनों ने हिम्मत नहीं हारी। न सिर्फ माता-पिता और बाबा को कोरोना संक्रमण से उबारा बल्कि स्वयं भी स्वस्थ होकर कोरोना को मात दे चुकी हैं।
बहराइच: बेटे के साथ लखनऊ में रह रहे कैसरगंज निवासी लोकतंत्र सेनानी 20 दिन पहले कोरोना संक्रमित हुए। फिर बेटे और बहू कोरोनावायरस की चपेट में आ गए। माता पिता और बाबा की सेवा करती हुई दो डॉक्टर बहने भी कोरोना पॉजिटिव हो गई। लेकिन दोनों ने हिम्मत नहीं हारी। न सिर्फ माता-पिता और बाबा को कोरोना संक्रमण से उबारा बल्कि स्वयं भी स्वस्थ होकर कोरोना को मात दे चुकी हैं।
कोरोना वायरस के संक्रमण से चारों ओर त्राहि-त्राहि है। इस कोरोना संक्रमण को झेलकर उबरे है कैसरगंज बहराइच के लोकतंत्र सेनानी, पूर्व जिला शासकीय अधिवक्ता, तथा जनपद के ख्याति प्राप्त वयोवृद्ध समाजसेवी लल्लन बाबू सिंह। 97 साल से ऊपर की उम्र, अल्जाइमर और बुजुर्गइयत के विभिन्न रोगों से ग्रस्त होने के बावजूद कोरोना को वह मात देने में सफल रहे।
लखनऊ में अपने पुत्र अखिलेश सिंह के आवास पर विगत 20 दिन पहले उन्हें कोरोना पॉजिटिव पाया गया था। इस दौरान उन्हें घर पर रखकर ही उनकी दोनो डॉक्टर पौत्रियों श्रुति और हर्षिता ने देखभाल की। इस दौरान घर के सभी लोग कोरोना पॉजिटिव हो गए। लेकिन दोनों बहनों ने हिम्मत नहीं हारी।
साहस का परिचय देते हुए सबकी सेवा की। ईश्वर ने सबको ठीक कर दिया। अब सभी पूरी तरह स्वस्थ हैं। दोनो डाक्टर पौत्रियों ने अपने भाई को अलग करके उसका भी ध्यान रखा।
लोकतंत्र सेनानी बाबू लल्लन सिंह का यही संदेश है की घबराए नहीं, पॉजिटिव सोचे और ईश्वर पर विश्वास रखें खान-पान का विशेष ध्यान रखें सब ठीक हो जाएगा।
पिछले बीस वर्षों में देखा गया कि शहर से गांव तक संयुक्त परिवार टूट रहे है, बच्चे अपने बुजुर्ग मां बाप से दूर होते जा रहे हैं, ऐसे में लोकतंत्र सेनानी बाबू लल्लन सिंह के छोटे पुत्र अखिलेश सिंह, पुत्रवधू किरन सिंह और उनके बच्चे, समाज के अन्य बहुत से परिवारों के लिए एक मिसाल बनकर उभरे हैं। कोरोना की इस भयावहता में जब उनके पुत्र अखिलेश सिंह और पुत्रवधू किरन अस्पताल में जीवन और मृत्यु को एक साथ घटित होते देख रहे थे। पिता
लोकतंत्र सेनानी बाबू लल्लन सिंह भी बहू-बेटे के साथ इस वायरस के दंश को भी झेल रहे थे, उस मुसीबत की घड़ी में अखिलेश की दोनों डाक्टर बेटियों ने न केवल घर पर अपने बाबा की देखभाल की, बल्कि मां बाप की अस्वस्थता का ख्याल रखते हुए अपने दायित्वबोध को भी बखूबी निभाया।
बेटियों के मां बाप जब पीजीआई में भर्ती हुए तो दोनो डाक्टर बेटियां भी पॉजिटिव हो गई, लेकिन बच्चों ने हिम्मत नही हारी, घर में किट पहनकर बाबा और सबको मैनेज करती रही, मां बाप दुखी होंगे इसलिए घर में किसी को नही बताया कि हम लोग भी पॉजिटिव हैं, आज सब लोग ठीक हैं। परिवार की ख़ुशियाँ फिर लौट आई हैं।