किसान यात्रा शुरू करने कन्नौज जा रहे अखिलेश यादव को पुलिस ने गिरफ्तार किया

Update: 2020-12-07 08:42 GMT

कन्नौज । कन्नौज में समाजवादी पार्टी की किसान यात्रा में शामिल होने से रोके जाने के बाद धरना दे रहे अखिलेश यादव व अन्य नेताओं को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों के समर्थन में सोमवार को कन्नौज में विरोध प्रदर्शन करने जा रहे सपा प्रमुख अखिलेश यादव को पुलिस ने रोका, जिसके बाद वह धरने पर बैठ गए। उनके वाहनों को भी पुलिस ने कब्जे में ले लिया है।

इस दौरान उन्होंने कहा कि भाजपा ने कोरोना वायरस को एक बहाना बनाया है। भाजपा के लिए किसी भी कार्यक्रम को आयोजित करने के लिए कोरोना वायरस कहीं पर भी नहीं है। लेकिन, विपक्ष अगर कहीं पर भी कुछ करता है तो सरकार कोरोना का बहाना बना लेती है। अब तो यह सरकार भरपूर तानाशाही कर रही है। हर जगह पर पुलिस के दम पर हमें रोका जा रहा है। भाजपा सरकार लोकतंत्र का गला घोंट रही है। सरकार किसानों की नहीं सुन रही है। किसान, गरीब, मजदूर सब परेशान हैं।

सपा अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा ने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने की बात कही थी लेकिन, अब कृषि कानून लाकर उन्हें कमजोर कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम कन्नौज जा रहे हैं। अगर हमें जेल भेजा जाएगा तो हम उसके लिए भी तैयार हैं। हम किसानों को जागरुक करते रहेंगे। अखिलेश को हिरासत में लेने के बाद पार्टी नेताओं ने नाराजगी जतायी। उन्होंने कहा कि समाजवादी अन्नदाता से अन्याय के खिलाफ अंतिम सांस तक संघर्षरत रहेंगे। अखिलेश यादव को लखनऊ में विक्रमादित्य मार्ग पर उनके आवास में ही नजरबंद किया गया। उनके आवास के साथ ही विक्रमादित्य मार्ग पर पार्टी के प्रदेश मुख्यालय को भी बैरिकेडिंग लगाकर सील कर छावनी में तब्दील कर दिया गया। पार्टी समर्थकों को भी हिरासत में ले गाड़ियों को जब्त कर लिया।

विशेषाधिकार का हनन बताकर लोकसभा अध्यक्ष को भेजी चिट्ठी

अखिलेश यादव ने प्रदेश सरकार के रवैये के खिलाफ लोकसभा अध्यक्ष को चिट्ठी भी लिखी। इसमें उन्होंने कहा कि किसानों के समर्थन में उनका पूर्व घोषित कार्यक्रम कन्नौज में है, जिसकी सभी तैयारियां हो चुकी हैं। उत्तर प्रदेश सरकार के निर्देश पर उन्हें कार्यक्रम में जाने से रोका गया है। विक्रमादित्य मार्ग स्थित उनके आवास पर भारी पुलिस बल है। उनके वाहनों को भी पुलिस ने कब्जे में ले लिया है। अखिलेश ने कहा कि राज्य सरकार का अलोकतांत्रिक व्यवहार उनके नागरिक अधिकारों का हनन है। यह मामला सांसद होने के नाते विशेषाधिकार के हनन का भी है। उन्होंने इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करने की अपील की, जिससे लोकतांत्रिक गतिविधियों को संपन्न कर उनका अधिकार बहाल हो सके।


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