भाजपा ने तिंदवारी सीट से रामकेश निषाद को टिकट देकर चौंकाया, दलजीत सिंह के कदम पर नजर
बांदा। जनपद की तिंदवारी विधानसभा सीट पर कई दिनों के मंथन के बाद भाजपा ने अपने जिलाध्यक्ष को चुनाव मैदान में उतार कर सबको चौंका दिया है, क्योंकि इस सीट पर सबसे प्रबल दावेदार कांग्रेस छोड़कर आए दलजीत सिंह को माना जा रहा था लेकिन ऐन मौके पर भाजपा ने दलजीत के बजाय रामकेश निषाद को चुनाव मैदान में उतारा है।
रामकेश निषाद को विधानसभा तिंदवारी का उम्मीदवार बनाए जाने को लेकर पदाधिकारियों ने एक दूसरे को मिठाई खिलाकर किया खुशी का इजहार किया। वर्तमान भाजपा जिलाध्यक्ष रामकेश निषाद तिंदवारी विधानसभा का भाजपा से टिकट मिलने पर पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर छा गई है। वहीं जिलाध्यक्ष के पैतृक गांव पैलानीडेरा में कार्यकर्ताओं एवं पदाधिकारियों ने एक दूसरे को मीठा कराकर खुशी का व्यक्त की। कहा कि आने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी कार्यकर्ता और पदाधिकारी निष्ठावान जिलाध्यक्ष के साथ लगकर तन्मयता से प्रचार अभियान में जुट जाएंगे।
वीआईपी सीट -
तिंदवारी विधानसभा क्षेत्र वीआईपी सीट कहलाती है। इसी सीट से जीत कर विश्वनाथ प्रताप सिंह प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे थे। इसके बाद इस निर्वाचन क्षेत्र से समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव राज्यसभा सांसद विशंभर प्रसाद निषाद चार बार विधायक चुने गए और दो बार प्रदेश सरकार में मंत्री भी रहे। 2017 में यहां से भाजपा के टिकट पर बृजेश प्रजापति ने जीत हासिल की थी। लेकिन प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य के इस्तीफा देने के बाद बृजेश प्रजापति ने भी उनके समर्थन में इस्तीफा देकर समाजवादी पार्टी ज्वाइन कर ली।
दलजीत सिंह के अगले दांव पर नजर -
समाजवादी पार्टी ने उन्हें इसी सीट से प्रत्याशी भी घोषित कर दिया है। उनके भाजपा छोड़ने से कांग्रेह के पूर्व विधायक रहे दलजीत सिंह ने आनन-फानन में भाजपा ज्वाइन करके टिकट के लिए दावेदारी कर दी। ऐसा माना जा रहा था कि दलजीत सिंह टिकट के शर्त पर ही भाजपा में शामिल हुए थे, लेकिन भाजपा ने उन्हें तगड़ा झटका देते हुए अपने जिलाध्यक्ष रामकेश निषाद को प्रत्याशी बनाकर सबको चौंका दिया है। अब दलजीत सिंह कौन सा दांव खेलते हैं यह भविष्य बताएगा, क्योंकि उन्होंने दावा किया था कि मैं इस बार चुनाव जरूर लड़ूंगा। अगर किसी दल ने टिकट नहीं दिया तो निर्दलीय चुनाव लड़ना तय है।