हिस्ट्रीशीटर संदीप ठाकुर से आखिर इस पार्टी को मोहब्बत क्यों ? आपराधिक रिकॉर्ड के बावजूद पार्टी में दबदबा

भाजपा दक्षिण के तत्कालीन मंडल अध्यक्ष पंकज गुप्ता व जिलाध्यक्ष अऩीता गुप्ता ने संदीप ठाकुर के हिस्ट्रीशीटर अपराधी होने के कारण जिले से लेकर प्रदेश स्तर के नेताओ के समक्ष इसका विरोध किया था।

Update: 2021-06-06 14:04 GMT

कानपुर। अपराधियों और राजनीति का नाता दिन पर दिन मजबूत होता जा रहा है। जितनी ज्यादा बातें राजनीति को अपराध मुक्त करने की होती है उससे कहीं ज्यादा अपराधी देश-प्रदेश की राजनीति में प्रवेश करते हैं। ऐसा ही एक कुख्यात अपराधी है नगर के बर्रा इलाके का निवासी संदीप ठाकुर, जोकि वर्तमान में सत्ताधारी पार्टी भाजपा के युवा मोर्चा (भाजयुमो) के कानपुर-बुंदेलखण्ड क्षेत्र का क्षेत्रीय उपाध्यक्ष। इसको इस पद पर बैठाने में इसके साथी विकास दुबे उर्फ दीपू दुबे का विशेष योगदान है। जोकि खुद इस क्षेत्र का भाजयुमो क्षेत्रीय अध्यक्ष है। संदीप के ऊपर नगर के साथ-साथ प्रदेश के कई जिलों में संगीन धाराओं पर मुकदमें दर्ज हैं।

प्रदेश अध्यक्ष के आशीर्वाद से बना उपाध्यक्ष : भाजपा दक्षिण के तत्कालीन मंडल अध्यक्ष पंकज गुप्ता व जिलाध्यक्ष अऩीता गुप्ता ने संदीप ठाकुर के हिस्ट्रीशीटर अपराधी होने के कारण जिले से लेकर प्रदेश स्तर के नेताओ के समक्ष इसका विरोध किया था। चर्चा है कि पार्टी के कद्दावर नेता तत्कालीन परिवहन मंत्री और वर्तमान में प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह का भी इसे इसे आशीर्वाद प्राप्त है। इसके कारण विकास दुबे ने संदीप ठाकुर को भी प्रदेश अध्यक्ष का आशीर्वाद दिला दिया और सभी प्रकार के विरोधों को दरकिनार करते हुए वह क्षेत्रीय उपाध्यक्ष बन बैठा। लेकिन जब भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह से इस विषय पर बात की तो उन्होंने कहा कि मैं संदीप ठाकुर नाम को ही नहीं जानता है। सोचने वाली बात यह है कि प्रदेश से लेकर कानपुर क्षेत्र के बड़े नेता तक एक हिस्ट्रीशीटर के अपराधी होने की बात नहीं जानते, है न कमाल की बात।


छात्र राजनीति से शुरू किया अपराध का सफर : संदीप ठाकुर और मनोज सिंह के बीच छात्र राजनीति के समय से ही आपसी रंजिश चल रही है। जिस कारण दोनों हिस्ट्रीशीटर के बीच वर्चस्व की लड़ाई छिड़ी रहती है। वर्ष 2002 में इन दोनों ने गोविंद नगर के डीबीएस कालेज से छात्र संघ का चुनाव लड़ा था। बर्रा इलाके में दोनों के जुलूस आमने-सामने आ गए थे जिस कारण दोनों ही गुटों के बीच जम कर मारपीट भी हुयी थी। इस मारपीट में संदीप ठाकुर ने अपने विरोधी मनोज सिंह के सहयोगी टोनी यादव को मौत के घाट उतार दिया था। हत्या के इस मामले में संदीप, उसके भाई संजीव और पिता जेबी सिंह के खिलाफ बर्रा थाने में 302 समेत विभिन्न गंभीर धाराओं में नामजद मुकदमा दर्ज हैं। जिसकी सुनवाई न्यायालय में शीघ्र ही पूरी होने वाली है और माना जा रहा है कि इन सबको सजा होनी भी तय है। वहीं डीबीएस कालेज के समय से ही संदीप और विकास दुबे का याराना दिन पर दिन परवान चढ़ता गया।


सत्ता के संरक्षण में अपराध का सफल सफऱ : छात्र राजनीति से नेतागिरी शुरू करने वाला संदीप ठाकुऱ अति महात्वकांक्षी था। उसे जल्द से जल्द दौलत और रूतबे की धमक जमानी थी। अपनी महात्वकांक्षाए जल्दी पूरी करने के लिए उसके कदम अपराध की दुनिया में तेजी से बढ़ते चले गए। दिमाग का शातिर संदीप जानता था कि कानून से बचने के लिए सत्ता में रहने वाली पार्टी का संरक्षण बहुत जरूरी है इसीलिए उसने समय-समय पर सरकार में आने वाली पार्टी के नेता का चोला बखूबी पहना। इसकी शुरूआत उसने वर्ष 2005 में प्रदेश के सत्तासीन दल समाजवादी पार्टी में प्रवेश पा कर की। यहां उसने अपना आका बनाया कल्लू यादव जैसे अपराधी नेता को। कल्लू यादव के संरक्षण में संदीप के पैर अपराध की दुनिया में तेजी से फैलने लगे। प्रदेश से सपा की सरकार जाने के बाद वर्ष 2008 में संदीप ठाकुर ने कांग्रेसी नेता अजय कपूर का दमन पकड़ा और अपने सपनों को पूरा करने के लिए एक बाद एक अपराध को अंजाम देने लगा। इसके बाद उसने वर्ष 2010 में प्रदेश में सरकार वाली बहुजसमाज पार्टी का नेता बन गया। बसपा में उसे नगर के ही तत्कालीन पार्टी के कद्दावर नेता व स्वास्थ मंत्री अंटू मिश्रा का भरपूर स्नेह मिला। चुनाव के बाद बसपा विदा हुई और सरकार आ गयी समाजवादी पार्टी की। अपने अपराधों की गति को बनाए रखने के लिए संदीप के लिए जरूरी था सत्ता का संरक्षण लेना। इस लिए वह फिर वर्ष 2012 में बसपा छोड़ सपा में शामिल हो गया। सपा के झंडे के नीचे संदीप के अपराधों की दुनिया बिना रोक-टोक के तेजी से बसने लगी। जिस कारण उसके हौंसले दिन पर बुलंद होते चले गए और उसने नगर के साथ ही प्रदेश के अन्य जिलों में गंभीर अपराधों को अंजाम देना शुरू कर दिया।

विकास दुबे ने बनाया भाजपा नेता : जब वर्ष 2017 में सपा विधान सभा चुनाव हार गई और प्रदेश में बीजेपी की योगी सरकार आई तो संदीप ठाकुर को पुलिस का डर सताने लगा। खुद को सुरक्षित करने के लिए उसने इस बार अपने पुराने साथी विकास दुबे जोकि उसके हर काम में उसका राजदार रहता है की मदद ली। विकास दुबे उर्फ दीपू बीजेपी में इस समय भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा का कानपुर-बुंदेलखण्ड क्षेत्र का क्षेत्रीय अध्यक्ष है। विकास ने तत्कालीन परिवहन मंत्री व वर्तमान के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह से अपनी खास नजदीकियों के चलते स्थानीय नेताओं के भाऱी विरोध के बावजूद अपने जिगरी साथी संदीप ठाकुर को कानपुर-बुंदेलखण्ड क्षेत्र का भाजयुमो का क्षेत्रीय उपाध्यक्ष बनवा दिया। बेजीपी का नेता बनते ही संदीप ठाकुर को एक बार भी कानून का कोई डर नहीं रहा और उसने अपने गैरकानूनी कामों को अंजाम देना फिर शुरू कर दिया। इसी के साथ शुरू हुआ भाजयुमो में भी वर्चस्व का खेल। जिसका परिणाम है 2 जून को आकर्षण गेस्ट हाउस के बाहर हुआ कांड।


ड्रग्स माफिया से भी रहे खास संबंध : वर्ष 2008 में जब केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी तब संदीप ठाकुर नगर के कद्दावर कांग्रेसी नेता अजय कपूर की गोद में जा बैठा। जिसके आशीर्वाद से संदीप कपड़ा मंत्रालय के बोर्ड का सदस्य बन बैठा और फर्जी मंत्री बन गाड़ी में लाल बत्ती लगा कर रौब दिखाता घूमने लगा। लालबत्ती की हनक का फायदा उठा कर वह नगर के ड्रग्स माफिया ब्रजेंद्र सोनकर का खास बन गया और उससे लाखों रुपए लेकर उसे भी फार्जी लेटर जारी कर लालबत्ती लगवा दी थी। इसके अलावा और बहुत से लोगों उसने लालबत्ती की हनक दिखा कर लाखों रुपए वसूले थे।

विवादित जमीनों और गाड़ी सीजिंग का है बड़ा काम : कहते है आज के समय में सबसे ज्यादा पैसा वो भी कम समय में जमीन के धंधे में हैं और संदीप ठाकुर का अपराधी रूप इस धंधे में बहुत कामयाब है। कमजोर लोगों की जमीनों में कब्जा करना व विवादित जमीनों को कौड़ियों के भाव खरीद लेना फिर इन जमीनों को अपने पुलिस व राजनीति के चहेतों की दम पर ऊंचे दामों में बेच देना संदीप को बाखूबी आता है। इसके साथ ही लोन कि गाड़ियों की सीजिंग का काम भी बहुत बड़े पैमाने पर वह करता है इस काम में भी उसके अपराधी रूप का उसे खूब फायदा मिलता है। सीज की गई गाड़ियों के पार्ट चोरी कर उन्हें बेचने में भी वह माहिर है। अपने इन धंधों से कमाई हुयी दौलत के दम पर संदीप पुलिस-प्रसाशन और राजनीति में अपनी पकड़ दिन पर दिन मजबूत करता जा रहा है। जिसके सबूत हम सबके सामने उसके जैसे हिस्ट्रीशीटर का भाजयुमो का क्षेत्रीय उपाध्यक्ष होना है।

क्षेत्र के बड़े नेताओं को अपराधों की नहीं है जानकारी : संदीप ठाकुर एक ऐसा नाम जो छात्र राजनीति से ही हत्या का आरोपी है, जो अपने अपराधों के कारण प्रतिवर्ष मीडिया की सुर्खियों में भी रहता है। इसी के साथ ही उसका राजनीतिक सफर भी वर्ष 2005 से निरंतर पार्टियों को बदलने के साथ गतिमान है। लेकिन भाजपा के कानपुर-बुंदेलखण्ड क्षेत्र के क्षेत्रीय अध्यक्ष मानवेंद्र सिंह अपनी पार्टी के ऐसा युवा नेता के अपराधों के बारे में कुछ नहीं जानते हैं। मीडिया ने जब उनसे इस विषय पर बात करना चाहा तो नेताजी ने यह कह किनारा साध लिया कि भाजयुमो के क्षेत्रीय अध्यक्ष से बात करो। जब संदीप ठाकुर के अपराधिक रिकार्ड के बारे में भाजयुमो के क्षेत्रीय अध्यक्ष विकास दुबे उर्फ दीपू से मीडिया ने बात की तो उन्होंने कहा कि वह मेरा पुराना साथी है इस लिए उपाध्यक्ष बनवाया लेकिन उसके अपराधी होने के बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं। विकास दुबे की बात में कमाल की बात यह है कि यह नेता जी संदीप के पुराने गहरे मित्र भी है और उसके अपराधों के बारे में जानते भी नहीं। बेवकूफ बनाने की हिम्मत इन दोनों नेताओं के पास खूब है।

बिकरू कांड में निलंबित डीआईजी ने की मदद : भाजयुमो का क्षेत्रीय उपाध्यक्ष बनते ही संदीप ठाकुर ने सबसे पहला काम किया अपने ऊपर लगे हिस्ट्रीशीटर के दाग को कानूनी रूप से खत्म करने का। सत्ताधारी पार्टी के पद की हनक और धन की ताकत का प्रयोग कर संदीप ने तत्कालीन कानपुर नगर के एसएसपी/डीआईजी अनंत देव तिवारी को अपने प्रभाव में लिया। यह वही डीआईजी अनंत देव है जिनको बिकरू कांड के जय बजापेयी से पक्की यारी के चलते शासन ने निलंबित कर दिया था। अनंत देव ने सत्ता की हनक और धन के लोभ के आगे घुटने टेकते हुए सभी कानूनी प्रक्रियाओं, जांचों और मानकों की अनदेखी करते हुए अपने चहेते हिस्ट्रीशीटर संदीप ठाकुर की वर्ष 2019 में हिस्ट्रीशीट पूरी तरह से खत्म कर दी।


एनएसए सहित है गंभीर धाराओं के दर्जनों मुकदमें : नगर के सिर्फ बर्रा थाने में ही भाजयुमो के क्षेत्रीय उपाध्यक्ष संदीप ठाकुर के ऊपर एनएसए, हत्या, हत्या के प्रयास, बलवा और जालसाजी जैसे गंभीर अपराधों के कई मुकदमें दर्ज हैं। लेकिन राजनीतिक हनक और पुलिस विभाग में मजबूत पकड़ के चलते संदीप ठाकुर समाज का सम्मानित व्यक्ति बन अपनी अपराधिक दुनिया को विकसित करता जा रहा है।

भाजपा की मंडल मंत्री ने भी जांच की मांग : भारतीय जनता पार्टी कानपुर दक्षिण की मंडल मंत्री शैलजा सिंह ने कानपुर पुलिस कमिश्नर को लिखे शिकायती पत्र में भाजयुमों के क्षेत्रीय उपाध्यक्ष पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने आरोप लगाया है कि संदीप ठाकुर हिस्ट्रीशीटर है और नगर के 14 थानों के साथ-साथ प्रदेश के अन्य जिलों में भी लगभग 40 गंभीर धाराओँ के मुकदमें दर्ज हैं। लेकिन फिर भी पुलिस विभाग के अधिकारियों के साथ उसके बहुत ही गहरे मित्रवत संबंध हैं। जिनकी सहायता से संदीप अपने विरोधियों से बदला लेता रहता है। उन्होंने कमिश्नर से मुलाकात कर संदीप ठाकुर की हिस्ट्रीशीट की निष्पक्ष जांच करने का अनुरोध भी किया है। जिस पर उन्होंने बताया कि पुलिस कमिश्नर ने उनको इस मामले में निष्पक्ष जांच करने का भरोसा दिलाया है।

हिस्ट्रीशीट नहीं होती खत्म, निगरानी होती है बंद : अपर पुलिस आयुक्त (हेड क्वार्टर क्राइम) डॉ. मनोज कुमार से जब इस विषय पर बात की गयी तो उन्होंने बताया कि किसी भी अपराधी की हिस्ट्रीशीट उसकी मौत होने पर ही बंद हो सकती है इसके अलावा दूसरी किसी भी सूरत में बंद नहीं होती। उन्होंने यह जरूर कहा कि कुछ नियमों के आधार पर पुलिस निगरानी बंद कर देती है जैसे कि अपराधी बहुत वृद्ध हो गया हो या उसने कई वर्षों से कोई अपराध न किया हो और अच्छे नागरिक के रूप में समाजिक जीवन जी रहा हो। मामले की जानकारी होने पर उन्होंने कहा कि तत्कालीन कप्तान ने किस आधार पर निगरानी बंद की यह जांच का विषय है। मुझे आज ज्ञात हुआ है शीघ्र ही इस विषय की जानकारी एकत्र कर जांच की जाएगी।


संदीप ठाकुर का मीडिया में भी है दबदबा : भाजयुमो नेता संदीप ठाकुर अपराध और कानून की दुनिया के साथ-साथ मीडिया में भी बहुत मजबूत पकड़ रखता है। नगर के बहुत से पत्रकार उसके इशारे पर काम करते हैं। इस बात का विश्वास कल तब हुआ जब देश के एक लोकप्रिय दैनिक समाचार पत्र के न्यूज पोर्टल में उसके अपराधिक जीवन की खबर पोस्ट हुयी, लेकिन खबर पोस्ट होने के कुछ देर बाद ही उसे पोर्टल से हटा दिया गया। जिससे पता चलता है कि संदीप ठाकुर की पकड़ मीडिया समुदाय में किस हद तक है।

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