नेहरू-गांधी खानदान की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने के लिए सोनिया गांधी संभालेंगी चुनावी जिम्मेदारी

स्वामीनाथ शुक्ल

Update: 2024-03-02 10:52 GMT

फ़ाइल फोटो - सोनिया गांधी 

अमेठी।  राहुल गांधी वायनाड की सीट छोड़कर अमेठी से चुनाव लडेंगे। फिरोज गांधी, इंदिरा गांधी और सोनिया गांधी की पुश्तैनी सीट पर प्रियंका गांधी मोर्चा संभालेंगी। नेहरू-गांधी खानदान की सियासी विरासत को आगे बढ़ाने के लिए सोनिया गांधी खुद चुनावी कमान संभालेंगी। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के चुनाव लडने के संकेत से रायबरेली के भुएमऊ और गौरीगंज कांग्रेस कार्यालय में हलचल तेज हो गई है। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक राहुल गांधी वायनाड सीट छोड़कर अमेठी और तेलंगाना दो सीट से चुनाव लडेंगे। जबकि प्रियंका गांधी रायबरेली से चुनाव लड़ेंगी। रायबरेली में चुनाव की तैयारी शुरू हो गई है। सोनिया गांधी के प्रतिनिधि केएल शर्मा रायबरेली में डेरा डाल दिए हैं। बाकी पहले की तरह रायबरेली और अमेठी दोनों जगह की चुनावी कमान संभालेंगे।

इंडिया गठबंधन में कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में 17 लोकसभा सीटें मिली हैं। इसमें अमेठी, रायबरेली कांग्रेस के खाते में है। रायबरेली में 2004 से अबतक एक उपचुनाव को जोड़कर पांच बार सोनिया गांधी सांसद थी। 2014 और 2019 के मोदी लहर में भी सोनिया गांधी लंबे अंतराल से चुनाव जीती थी। जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में गांधी परिवार के करीबी और पार्टी के विधायक दिनेश प्रताप सिंह कांग्रेस छोड़कर सोनिया गांधी के खिलाफ भाजपा उम्मीदवार बने थे। लेकिन सोनिया गांधी सांसद बनी थी। अब सोनिया गांधी राज्यसभा सांसद बन गई है। जिससे रायबरेली सीट खाली हो गई है।

सोनिया गांधी की सियासी विरासत आगे बढ़ाने के लिए प्रियंका गांधी रायबरेली से चुनाव लड़ेंगी। रायबरेली सीट छोड़ने के बाद सोनिया गांधी ने जनता के नाम पर एक भावनात्मक लगाव वाली अपील भी जारी की थी।अपील में लिखा था कि जनता का प्यार अपनापन और भरोसा हमारे परिवार को आगे भी मिलता रहेगा। राहुल गांधी अमेठी में तीन बार सांसद थे। 2014 की पहली मोदी लहर में राहुल गांधी गढ़ बचाने में कामयाब हो गए थे। लेकिन 2019 की मोदी लहर में राहुल गांधी भाजपा उम्मीदवार स्मृति ईरानी से हार गए थे। लेकिन अमेठी से रिश्ते तोड़े नहीं थे। कोरोना काल में अमेठी के लोगों को राशन किट और सामग्री भेजी थी।

राज्यसभा चुनाव में अमेठी और रायबरेली के तीन सपा विधायक राकेश सिंह,महाराजी प्रजापति, मनोज पांडेय भाजपा खेमे में चले गए हैं। जिससे लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए चुनौती बढ़ गई है। लेकिन कांग्रेस के सलोन विधानसभा प्रभारी सर्वेश सिंह और किसान मोर्चा के पूर्व जिलाध्यक्ष अनिल शुक्ल ने कहा कि सपा विधायकों के भाजपा में जाने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। क्योंकि 2019 के चुनाव में भी दोनों सपा विधायक स्मृति ईरानी के समर्थन में थे। जबकि अखिलेश यादव कांग्रेस के लिए सीट छोड़ी थी। लेकिन दोनों विधायक सपा मुखिया का आदेश नहीं माने थे। पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति और विधायक महाराजी प्रजापति के करीबी छेदी यादव ने कहा कि महाराजी प्रजापति के नाम पर वोट नहीं पड़े थे। हिम्मत है तो भाजपा से विधायक बने।

सपा यादव सभा के अध्यक्ष शिवप्रताप यादव और सपा के जिला कोषाध्यक्ष अवधेश मिश्र ने कहा कि इंडिया गठबंधन में राहुल गांधी की एतिहासिक जीत होगी। अखिलेश यादव खुद अमेठी रायबरेली में प्रचार करेंगे। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी पहले ही राहुल गांधी को अमेठी से चुनाव लडने की चुनौती दे रखा है। स्मृति ईरानी पांच साल से घर घर जाकर सीधे जनता से संवाद करती है।सभी के दुख सुख में बराबर खड़ी रहती है। जिससे कार्यकर्ताओं और समर्थकों की अपार भीड़ साथ में है। गौरीगंज विधानसभा के संयोजक मुन्ना सिंह ने कहा कि जनता स्मृति ईरानी के साथ है। राहुल गांधी के लड़ने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। पुराने संघी ज्ञान सिंह ने कहा कि कांग्रेस के पास बूथ एजेंट तक नहीं है। अमेठी विधानसभा के संयोजक सुधांशु शुक्ल ने कहा कि हरेक घर में भाजपा के वोट भरे पड़े हैं। स्मृति ईरानी को छह लाख के पार वोट मिलेंगे। बसपा में बामसेफ के जिलाध्यक्ष संजीव भारती ने कहा कि अमेठी में बसपा बड़े चेहरे पर दांव लगाने जा रही है। जिससे दोनों दलों की गणित बिगड़ जाएगी।

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