अव्यवस्थाओं के बीच संपन्न हुआ जीजीआइसी में नवपुरातन छात्रा सम्मेलन

दो गज की दूरी मास्क जरूरी कोरोना गाइड लाइन यहां आंसू बहाती रही;

Update: 2021-12-31 13:32 GMT

बांदा। कोरोना की मार से पूरा साल घायल रहा। लोग इस जंग में लड़ते भी रहे और कोरोना को हराने में लोगों से लेकर सरकारी मशीनरी ने अपने अथक प्रयासों से काफी जीवन बचाने के लिए हाथ पैर चलाए और सफलताओं के साथ कोरोना गाइड लाइन पालन करने की आवश्यकता पर बल दिया। दो गज की दूरी मास्क जरूरी फिलहाल वर्तमान में भी आवश्यक जरूरत बताते हुए वर्तमान में चल रहे नए कोरोना वायरस ओमिक्रान से निपटने के लिए चेताया भी गया है। लेकिन वर्ष 2021 के अंतिम दिन 31 दिसंबर की दोपहर शहर मुख्यालय स्थित जीजीआइसी में आयोजित नवपुरातन छात्रा सम्मेलन के दौरान जो नजारा कालेज परिसर में दिखाई पड़ा। 

 वह कोरोना गाइड लाइन को धता बताने वाला तो साबित ही हुआ लेकिन वहां उपस्थित उच्चाधिकारियों की मौजूदगी में चलाये जा रहे इस सम्मेलन में कोरोना गाइड लाइन का आवश्यक दिशा निर्देश दो गज दूरी मास्क जरूरी का स्वरूप भी गायब रहा। जीजीआइसी के आंगन में सैकड़ों छात्रों की उपस्थिति में खुद आयोजन के मंच पर बैठे अधिकारी भी बिना मास्क के मौजूद रहे। नवपुरातन छात्र-छात्रा सम्मेलन की व्यवस्था इतनी नकारा थी कि वहां पहुंची छात्राएं स्कूल की छत पर चढ़कर कार्यक्रम का नजारा देखने के लिए बैठ गईं जो एक खतरनाक स्थिति को दर्शाता रहा। यहां पर मुख्य अतिथि के रूप में सीडीओ व सहायक मुख्य अतिथि के रूप नायब तहसीलदार तिंदवारी सहित आयोजक जीजीआइसी प्रिसिंपल की मौजूदगी में आयोजित हुए इस कार्यक्रम में बेहद बरसती ठंड ने पहुंचे छात्र कंपकंपाते नजर आए।

सैकड़ों छात्रों की उपस्थिति में यहां पर आयोजक द्वारा जहां जमीन में बैठने के लिए दसावन का अभाव नजर आया वहीं शामयाना की भी व्यवस्था उचित नहीं दिखी। जिसको लेकर वहां छात्र व छात्राएं तथा पहुंचे अन्य लोग तरह-तरह की बातें करते नजर आए। अधिकांशतः मुंह में न मास्क न शारीरिक दूरी भी आयोजन में सवाल बनकर मुंह-मुंह में नाचती रही। कार्यक्रम के उत्साह से लवरेज लोगों को महामारी की विभीषिका का ध्यान भूल गया। अंतिम छोर पर पहुंचते- पहुंचते नवपुरातन छात्रों को प्रशस्ति पत्र वितरित किए गए और अधिकारियों को शील्ड प्रदान कर इसी माहौल में कार्यक्रम ऐन-केन प्रकारेण पूरा हो गया। प्रसंगवश यह भी बताना अनुचित न होगा कि यह वही विद्यालय है जहां पर वर्ष 2019 में लोकसभा के चुनाव के दौरान परिसर के अंदर लगे बूथों पर जब चुनाव कराने के लिए चुनाव टीमें पहुंची थी तो स्कूल के शौचालयों में ताले बंद थे। खाने का कोई प्रबंध नहीं था। आपत्ति की वर्षा हुई तत्कालीन जिलाधिकारी और अन्य सरकारी मशीनरी रात लगभग 9 बजे विद्यालय पहुंची। प्रिसिंपल की खबर की। तत्कालीन जिलाधिकारी के दिशा निर्देश पर शौचालयों के ताले खुले। रसोइयों को बुलाया गया और आगे का कार्यक्रम चला। 

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