रायबरेली: एम्स का इंतजार नही हुआ खत्म, अभी लगेगा और समय
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. वीरेंद्र सिंह ने बताया कि एम्स में अभी आइसोलेशन वार्ड नहीं बनाया जा सकता, वहां फिनिशिंग का कुछ काम बाकी है। हम रेलकोच में ही बेड बढ़ाने पर विचार कर रहे हैं।
रायबरेली: बहुप्रतीक्षित एम्स के खुलने में अभी वक्त लग रहा है। तय समय 31 मार्च को अगर इसका अंत: रोग विभाग खुल जाता तो आज तस्वीर दूसरी होती। कोरोना की दूसरी लहर से जंग लड़ने में हम ज्यादा मजबूत स्थिति में होते। संक्रमण बढ़ता जा रहा है और हमारे पास सिर्फ एल-टू फैसिलिटी सेंटर ही है, जहां चिकित्सक व स्टाफ की कमी बनी हुई है।
दरियापुर में 600 बेड का एम्स हॉस्पिटल खुलना है। कोविड संक्रमण बढ़ने से कुछ दिनों पहले ही यहां की ओपीडी बंद कर दी गई और सिर्फ ऑनलाइन उपचार दिया जा रहा है। कोरोना संक्रमितों के इलाज के लिए लेवल-टू के अलावा दूसरे अस्पतालाें में बेड बढ़ाने का आदेश शासन से आया तो जिम्मेदार भागकर एम्स पहुंचे, मगर वहां भी निराशा ही हाथ लगी। अभी बिल्डिंग में फिनिशिंग का काम बाकी है। कार्यदायी संस्था ने हैंडओवर की प्रक्रिया सही से पूरी नहीं की है।
वेंटिलेटर, सीटी स्कैन मशीन सहित कई अत्याधुनिक मशीनें आ चुकी हैं, जोकि सील पैक रखी हैं। ऑक्सीजन लाइन भी अब तक नहीं बिछाई जा सकी है। ऐसे हालात में सभी संक्रमित मरीजों को एल-टू फैसिलिटी सेंटर भेजा जा रहा है, जहां के हालात किसी से छिपे नहीं हैं। सीमित स्टाफ से किसी तरह काम चलाया जा रहा है।
जिला अस्पताल में नहीं बनाया आइसोलेशन वार्ड :
ग्रामीणअंचल के मरीज हों या फिर शहर के, सभी को रेलकोच कारखाना में बने कोविड अस्पताल भेजा जा रहा है। जिला अस्पताल परिसर में महिला अस्पताल की बिल्डिंग खाली पड़ी है, मगर यहां पर आइसोलेशन वार्ड नहीं बनाया गया। यहां पर पर्याप्त स्टाफ होने के साथ-साथ सीटी स्कैन और डायलिसिस की भी व्यवस्था है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. वीरेंद्र सिंह ने बताया कि एम्स में अभी आइसोलेशन वार्ड नहीं बनाया जा सकता, वहां फिनिशिंग का कुछ काम बाकी है। हम रेलकोच में ही बेड बढ़ाने पर विचार कर रहे हैं।