काशी विश्वनाथ धाम में टूटे रिकॉर्ड, सावन में पहुंचे एक करोड़ श्रद्धालु, मिला 5 करोड़ का चढ़ावा
वाराणसी। श्रीकाशी विश्वनाथ धाम ने इस बार के सावन में अपने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिये हैं। पूरे सावन माह में जहां एक करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने धाम में दर्शन पूजन किया, वहीं पांच करोड़ से अधिक का चढ़ावा भी मंदिर में चढ़ाया गया है।
यूपी धर्मार्थ कार्य निदेशालय के निदेशक एवं वाराणसी मंडल के कमिश्नर दीपक अग्रवाल के अनुसार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा बीते दिसंबर माह में इस ऐतिहासिक धाम को राष्ट्र को समर्पित कर दिया गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद धाम की मॉनिटिरिंग समय-समय पर करते हैं। सरकार का जोर धाम आने वाले श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं देने पर है। इसी का परिणाम है कि श्रद्धालु बड़ी संख्या में काशी पहुंच रहे हैं।
उन्होंने बताया कि धाम बनने के बाद सामान्य दिनों में श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में डेढ़ से दो लाख दर्शनार्थी दर्शन करने पहुंच रहे थे। वहीं सावन माह में सभी रिकॉर्ड टूट गये हैं। इस पवित्र महीने में प्रतिदिन औसतन तीन लाख से अधिक श्रद्धालु मंदिर में बाबा का जलाभिषेक करने पहुंचे। पूरे माह का अगर आंकड़ा देखा जाए तो यह एक करोड़ के पार हो गया है। सावन के सोमवार की बात करें तो पहले सोमवार को 5.5 लाख, दूसरे सोमवार को छह लाख, तीसरे सोमवार को 7.10 लाख और चौथे सोमवार को 7.20 लाख श्रद्धालुओं ने बाबा के दरबार में माथा टेका है। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के सभी चारों गेट पर लगे हेड काउंटिंग मशीन के जरिये श्रद्धालुओं की गिनती की गयी। इसी के आधार पर ये आंकड़े जारी किये गये हैं।
बाबा दरबार में चढ़ावे की बात करें तो विभिन्न साधनों जैसे मनी ऑर्डर, दानपात्र, ऑनलाइन और ऑफलाइन इन सबको मिलाकर लगभग पांच करोड़ का चढ़ावा मंदिर में आया है। दीपक अग्रवाल के अनुसार इस बार सोने-चांदी की बात की जाए तो लगभग 40 किलो से ज्यादा चांदी का चढ़ावा मंदिर में आया है। वहीं एक करोड़ से अधिक का सोना भी बाबा के दरबार में श्रद्धालुओं द्वारा दान दिया गया है।
श्रद्धालुओं की सुविधाओं का विशेष ध्यान
दीपक अग्रवाल ने बताया कि इस बार सावन में श्रद्धालुओं की सुविधाओं का भी विशेष ध्यान रखा गया था। टेंट, मैटिंग, पेयजल, ग्रिल, बिजली कूलर सहित अन्य संसाधनों की भी पर्याप्त व्यवस्था की गई थी, ताकि किसी भी श्रद्धालु को किसी प्रकार की असुविधा ना हो। इस व्यवस्था को करने में मंदिर प्रशासन ने लगभग डेढ़ से दो करोड़ रुपये खर्च किए।