Bharatmala Project Scam: भारतमाला परियोजना में 43 करोड़ का घोटाला, चरणदास महंत ने नितिन गडकरी से की CBI जांच की मांग

Update: 2025-04-04 18:45 GMT
भारतमाला परियोजना में 43 करोड़ का घोटाला, चरणदास महंत ने नितिन गडकरी से की CBI जांच की मांग
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Demand for CBI Investigation in Bharatmala Project Scam : रायपुर। छत्तीसगढ़ में भारतमाला परियोजना में कथित भ्रष्टाचार के मामले ने तूल पकड़ लिया है। आज, 4 अप्रैल 2025 को छत्तीसगढ़ विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी को एक पत्र लिखकर इस परियोजना में हुई अनियमितताओं की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराने की मांग की है।

यह मांग तब उठी है, जब हाल ही में विधानसभा के बजट सत्र में इस मुद्दे पर जमकर बहस हुई थी। महंत ने विधानसभा में सरकार पर निशाना साधते हुए इस घोटाले को उजागर किया था, जिसके बाद साय कैबिनेट ने इसकी जांच आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) से कराने का फैसला लिया था।

पत्र में गंभीर आरोप

डॉ. चरणदास महंत ने अपने पत्र में आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ में भारतमाला परियोजना के तहत रायपुर-विशाखापट्टनम इकनॉमिक कॉरिडोर के सड़क निर्माण के लिए अभनपुर अनुविभाग (जिला रायपुर) में निजी भूमि के अधिग्रहण और मुआवजा निर्धारण की प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताएं हुईं।

उन्होंने कहा कि लोक सेवकों और भूमि स्वामियों ने आपराधिक साजिश के तहत भ्रष्टाचार किया, जिसके कारण भारत सरकार को कम से कम 43,18,27,627 रुपये की आर्थिक क्षति हुई। महंत ने दावा किया कि वास्तविक मुआवजा राशि 7,65,30,692 रुपये थी, लेकिन मुआवजा निर्धारण और भुगतान 49,39,40,464 रुपये किया गया, जिससे 43.18 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भुगतान हुआ।

जांच में खुलासे

पत्र में संलग्न जांच प्रतिवेदन (दिनांक 11.09.2023) के अनुसार, भूमि अधिग्रहण की वैधानिक अधिसूचना प्रकाशन के बाद पिछली तारीखों में क्रय-विक्रय, पंजन, बटांकन, और नामांतरण जैसी अवैध गतिविधियां की गईं। इन गतिविधियों से भूमि खातों का विभाजन हुआ, जिसके चलते मुआवजा दरें मनमाने तरीके से बढ़ा दी गईं। महंत ने कहा कि यह जांच प्रतिवेदन केवल अभनपुर अनुविभाग तक सीमित है, और इसमें कई अन्य पहलुओं, जैसे आपराधिक साजिश का उल्लेख भी नहीं किया गया, जिससे इस आधार पर की गई कार्रवाई को न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है।

विधानसभा में उठाया मुद्दा

12 मार्च 2025 को छत्तीसगढ़ विधानसभा में बजट सत्र के दौरान महंत ने इस मुद्दे को उठाया और राजस्व मंत्री व मुख्यमंत्री से मांग की थी कि चूंकि यह भ्रष्टाचार का मामला है और भारत सरकार की परियोजना है, जिसमें वरिष्ठ अधिकारियों की संलिप्तता संभावित है, इसलिए इसे सीबीआई को सौंपा जाए या विधायकों की समिति गठित की जाए। हालांकि, उनकी मांग को खारिज करते हुए राजस्व मंत्री ने कमिश्नर से जांच कराने की घोषणा की। उसी दिन मंत्रिपरिषद की बैठक में फैसला लिया गया कि जांच ईओडब्ल्यू से होगी।

सीबीआई जांच की जरूरत

महंत ने अपने पत्र में तर्क दिया कि ईओडब्ल्यू राज्य की एक एजेंसी है और भारतमाला परियोजना जैसे केंद्रीय प्रोजेक्ट में आर्थिक अपराध की जांच के लिए वह सक्षम नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर राज्य एजेंसी जांच करती है, तो उसकी कार्यवाही को सक्षम न्यायालय में सक्षमता के सवाल पर चुनौती दी जा सकती है, जिससे कार्रवाई अवैधानिक ठहराई जा सकती है और भ्रष्टाचारी बच सकते हैं।

उन्होंने यह भी उजागर किया कि जांच प्रतिवेदन 2023 में ही सरकार को मिल गया था, लेकिन तब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई, जब तक कि उन्होंने विधानसभा में इसे उठाया। इससे यह संकेत मिलता है कि राज्य सरकार की मंशा कार्रवाई करने की नहीं है।

व्यापक भ्रष्टाचार का दावा

महंत ने दावा किया कि इस आपराधिक साजिश में 100 से अधिक लोक सेवक और भूमि स्वामी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि भारतमाला परियोजना के तहत छत्तीसगढ़ में जितनी भी सड़कों के लिए भूमि अधिग्रहण हुआ, उन सभी में इसी तरह का भ्रष्टाचार हुआ है। इसलिए, उन्होंने न केवल अभनपुर मामले, बल्कि पूरे प्रोजेक्ट के लिए भूमि अर्जन और मुआवजा निर्धारण की जांच सीबीआई से कराने की मांग की। साथ ही, 43.18 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि के ब्याज सहित वसूली की भी मांग उठाई, जिस पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।



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