इंजीनियरिंग और मॉडलिंग छोड़ पुरातन सनातन से जुड़ रहे युवा: महाकुम्भ में इंजीनियर बाबा और ग्लैमर वर्ल्ड छोड़कर आईं हर्षा रिछारिया बनीं नजीर…
ग्लैमर और विज्ञान की दुनिया से अध्यात्म की ओर बढ़ा रुझान, प्रोफेशनल्स में लगातार बढ़ रहा सनातन संस्कृति के प्रति आकर्षण…;
महाकुम्भनगर। प्रोफेशनल लाइफ जी रहे आज के दौर के युवाओं में पुरातन सनातन संस्कृति का आकर्षण लगातार बढ़ता जा रहा है। देश-विदेश में स्थापित एंकर, मॉडल और इंजीनियर जैसे पेशेवर अब भारतीय परंपराओं और अध्यात्म से गहराई से जुड़ रहे हैं। महाकुम्भ के दौरान ऐसे तमाम उदाहरण सामने आए।
इसमें एक ओर उत्तराखंड की युवती हर्षा रिछारिया ने ग्लैमर की दुनिया छोड़कर स्वामी कैलाशानंद गिरि से दीक्षा ली, तो दूसरी ओर आईआईटी बॉम्बे के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के स्टूडेंट रहे इंजीनियर बाबा ने विज्ञान के माध्यम से श्रद्धालुओं को अध्यात्म की गहराइयों से परिचित कराया।
ग्लैमर की दुनिया से सनातन धर्म की शरण में आई युवती : उत्तराखंड निवासी हर्षा रिछारिया देश और विदेश में ग्लैमर इंडस्ट्री का हिस्सा रही हैं। उन्होंने महाकुम्भ में सनातन धर्म की दीक्षा ली। उन्होंने कहा, प्रोफेशनल लाइफ में दिखावे और आडंबर से भरी जिंदगी ने मुझे उबा दिया।
मैंने महसूस किया कि वास्तविक सुख और शांति केवल सनातन धर्म की शरण में ही है। स्वामी कैलाशानंद गिरि से दीक्षा लेने के बाद मैंने जीवन का नया अर्थ समझा है।
इंजीनियर बाबा बोले, विज्ञान और अध्यात्म का संगम है महाकुम्भ : हरियाणा के मूल निवासी और आईआईटी बॉम्बे के पूर्व छात्र अभय सिंह को अब इंजीनियर बाबा के नाम से जाना जाता है। महाकुम्भ में श्रद्धालुओं को विज्ञान और अध्यात्म का अनोखा संगम समझा रहे हैं। बाबा ने एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी में अपने गहन ज्ञान का उपयोग करते हुए, कॉपी और डायग्राम के माध्यम से श्रद्धालुओं को जीवन और अध्यात्म का महत्व समझाया।
बाबा जी ने कहा, साइंस केवल भौतिक जगत को समझाने का माध्यम है, लेकिन इसका गहन अध्ययन हमें अध्यात्म की ओर ले जाता है। जो व्यक्ति जीवन को पूर्ण रूप से समझ लेता है, वह अंततः आध्यात्म की गोद में चला जाता है।
महाकुम्भ ने बढ़ाया सनातन धर्म का प्रभाव :महाकुम्भ में आए लाखों श्रद्धालु भारतीय संस्कृति और आध्यात्म की विविधता से परिचित हो रहे हैं। इंजीनियर बाबा जैसे लोग और ग्लैमर की दुनिया से आई युवती हर्षा रिछारिया का सनातन धर्म के प्रति झुकाव इस बात का प्रमाण है कि आधुनिक जीवन शैली से ऊबकर लोग शांति और स्थायित्व की तलाश में भारतीय परंपराओं की ओर रुख कर रहे हैं।
महाकुम्भ के इस आयोजन ने न केवल सनातन धर्म की महानता को प्रदर्शित किया, बल्कि प्रोफेशनल्स और युवाओं के जीवन में आध्यात्मिकता की आवश्यकता को भी उजागर किया। यह आयोजन आधुनिक और पारंपरिक मूल्यों के संगम का प्रतीक बनता जा रहा है।
दो युवा प्रतिभाओं ने ग्रहण किया संन्यास, स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती से दीक्षा लेकर सनातन की सेवा का संकल्प
कोलकाता के उपकुर्वाण ब्रह्मचारी संजयानंद को नैयष्ठिक ब्रह्मचर्य की दीक्षा देकर ब्रह्मचारी ब्रह्म विद्यानंद नाम प्रदान किया गया। पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर विवेक कुमार पांडेय को सन्यास की दीक्षा देकर स्वामी केशवानंद सरस्वती नाम प्रदान किया गया।
दोनों युवा संन्यासियों ने आज दीक्षा के उपरांत कहा कि उनके मार्गदर्शक और गुरु स्वामी जीतेंद्रानंद की यह कृपा उन्हें अब सनातन की व्यापक सेवा का मार्ग प्रशस्त करेगी। राष्ट्र को इस समय पूज्य स्वामी के संकल्प पूरे करने के लिए हमारे जैसे युवाओं की अत्यंत आवश्यकता है। सनातन धर्म और संस्कृति की व्यापक सेवा में हमें गुरुदेव की कृपा मिलती रहे, ऐसी कामना है।
स्वामी जीतेन्द्रानंद सरस्वती ने कहा कि भारत ही नहीं बल्कि विश्व के युवाओं में सनातन धर्म और संस्कृति के प्रति आकर्षण बढ़ा है।
यह बहुत ही शुभ है। ऐसे समय में जबकि दुनिया अनेक गंभीर युद्धों के संकट से जूझ रही है, प्रयाग राज से सनातन का विश्व कल्याण का उद्घोष ही विश्व को उचित दिशा देने वाला है। उन्होंने कहा कि आज दीक्षा प्राप्त करने वाले दोनों प्रतिभावान संन्यासी सनातन के लिए निधि बन कर कार्य करेंगे, ऐसा मुझे विश्वास है।