महाकुम्भ महिमा: सनातन गर्व से भर देगी आवाहन अखाड़ा के 9 वर्षीय बाल नागा संन्यासी की यह गाथा…

संगम रेती पर शिव भक्ति में लीन 9 वर्षीय गोपाल गिरी ने बताया उन्हें नहीं लगती सर्दी;

Update: 2025-01-08 12:39 GMT

डॉ. अतुल मोहन सिंह, महाकुम्भनगर: प्रयागराज में विश्व भर की सनातन संस्कृतियों का संगम आकार ले रहा है। महाकुंभ-2025 का अनौपचारिक शंखनाद होने में कुछ दिन ही शेष हैं। हिन्दू संस्कृति के सभी प्रमुख अखाड़ों, पंथों, सम्प्रदायों की धर्म ध्वजाएं संगम की रेती पर लहलहा रही हैं। यह सृष्टि पर्व 13 जनवरी से 26 फरवरी तक चलेगा।

महाकुंभ में इन दिनों देशभर के अखाड़ों से साधु-संत पहुंच रहे हैं। संगम तट पर उमड़ रहा आस्था का ज्वर अनुपम है। अद्वितीय है। अलौकिक है। और अविस्मरणीय भी।

तो आइए 'स्वदेश' की कलम से गंगा-यमुना-सरस्वती के पवित्र संगम पर 'मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत' के साक्षी बनें।

हर बार की तरह इस बार भी महाकुम्भ बड़ी संख्या में नागा साधु भी आए हैं। नागा साधुओं में सबसे छोटे नागा साधु गोपाल गिरी भी संगम की रेती पर भगवान शिव की भक्ति में लीन हैं। उम्र महज 9 साल है। इस वय में तन पर भस्म की धूनी रमाए नागा साधु गोपाल गिरी महाकुंभ 2025 में आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं।

नागा संन्यासी गोपाल गिरी महाराज हिमाचल के चंबा में रहते हैं। महाकुंभ में भाग लेने के लिए प्रयागराज पहुंचे हुए हैं। 3 वर्ष की आयु में ही उनके माता-पिता ने गुरु दक्षिणा में नागा संन्यासी को सौंप दिया था। गोपाल गिरी श्री शंभू पंच दशनाम आवाहन अखाड़ा के नागा संन्यासी हैं। उनके गुरु थानापति सोमवार गिरी हैं।

गुरु भाई कमल गिरी 'स्वदेश' से बताते हैं कि गोपाल मूलरूप से बरेली के अकबरपुर गांव के रहने वाले हैं। वह चार भाइयों में सबसे छोटे थे। उनके परिवार की बड़े लोगों में गिनती होती है। बपचन से ही वह भगवान शिव के भक्त थे।

ऐसे में उन्होंने अपना पूरा जीवन भगवान महादेव के नाम कर दिया। इस कड़ाके की ठंड में गोपाल गिरी निर्वस्त्र गुरु भाइयों के साथ शरीर पर भस्म लगाए महादेव की भक्ति लीन रहते हैं।

माता-पिता के बारे में पूछने पर वह कहते हैं कि गुरु ही उनके माता-पिता हैं। उनकी सेवा और प्रभु की भक्ति करने में ही उन्हें परमानंद की अनुभूति होती है। उन्हें अपने परिवार के बारे में कुछ नहीं पता हैं।

वहीं, कम उम्र में बेटे को संन्यासी बनाने के सवाल पर कमल गिरी महाराज कहते हैं कि एक बच्चा दान करने पर उस परिवार को सात जन्मों का पुण्य मिलता है। उनकी सात पीढ़ी के पाप तर जाते हैं।

गोपाल गिरी के गुरु भाई कमल गिरी 'स्वदेश' को बताते हैं कि कम उम्र के नागा संन्यासियों को आश्रम में सुबह से लेकर शाम तक पूजा-आरती, संस्कार और तलवार भाला जैसे अस्त्र-शस्त्र चलाने की शिक्षा दी जाती है।

वह अन्य बच्चों की तरह खेलकूद नहीं करते हैं। वह अपना पूरा जीवन गुरु व भगवत प्रेम को समर्पित कर देते हैं। वहीं गोपाल गिरी बोले ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि उन्होंने पूरा जीवन सनानत के नाम कर दिया है।

मुझे किसी ने बहकाया नहीं। साधु को कोई बहका नहीं सकता। मैं मन से साधु बना हूं। संत बनने की मेरी मर्जी थी। भगवान के भजन-कीर्तन के लिए साधु बना हूं। ताउम्र साधु ही रहूंगा।

मर जाऊंगा तब भी साधु ही रहूंगा : गोपाल गिरी ने 'स्वदेश' से बताया कि ताउम्र साधु ही रहूंगा। मर जाऊंगा तब भी साधु ही रहूंगा। खेलना-कूदना तो छोटे-छोटे बच्चों का काम है।

मैं तो खेलने में नहीं, बल्कि भजन में मगन रहता हूं। भगवान शिव, सूर्यदेव के भजन करता हूं। मेरे तीन गुरु महाराज तन पर भभूत लगाकर समाधि लेकर भगवान के पास चले गए। मेरा स्कूल में नाम भी लिखवाया, मगर मैं गुरुकुल में शिक्षा लेना चाहता था। इसलिए साधु बन गया।

मैं कोई स्कूल-कॉलेज की पढ़ाई के डर से भागकर नहीं आया हूं। गुरुकुल में बच्चों को मारपीट कर नहीं बल्कि प्यार से शिक्षा प्रदान की जाती है। उन्होंने कहा हमारे मन और दिल दोनों में भगवान बैठा है।

भगवान में ध्यान लगाओ, फिर ठंड कैसी : छोटे नागा साधु को ठंड नहीं लगती के जवाब में उन्होंने कहा, तुम सर्दी से बचने के लिए जैकेट पहनते हो। हम सिर्फ भगवान को पहनते हैं।

भगवान हमारे मन में रहते हैं। फिर ठंड किस बात की। ध्यान लगाओ। ‘ओम नमःशिवाय’ जपो! भगवान खुद आपके सामने आएंगे। यकीन नहीं हो रहा तो किसी वन में जाकर तपस्या करके देख लो।

मैं भी शेर-चीता वाले किसी वन में जाकर तपस्या करूंगा। ये जंगली जानवर हमें खाएंगे नहीं क्योंकि भगवान हमारे साथ हैं। मैं तो चाहता हूं मुझे हमेशा के लिए शमशान में भेज दो ताकि जिंदगी भर के लिए वहां भगवान का मंदिर बना दूंगा। मुझे भगवान से प्यारा कोई नहीं लगता।

भगवान शिव भी नग्न रहते थे, माता पार्वती को लज्जा नहीं आई : संत ने नग्न रहने के प्रश्न पर गोपाल गिरी ने बताया कि गंगा में डुबकी लगाकर आओ। आपको ठंड लगेगी और शर्म भी आएगी।

आप अपने परिवार के सामने नागा नहीं रह सकते, जबकि मैं रह सकता हूं। भगवान शिव भी तो शादी करने गए तब उन्होंने कोई भी कपड़ा नहीं पहन रखा था। उन्हें नागा देख पूरा संसार समाया मगर, भोलेनाथ नहीं शर्माए।

न माता पार्वती शर्माईं। बता दें, नागा साधु, हिन्दू धर्म के वो साधु होते हैं जो हमेशा नग्न रहते हैं और युद्ध कला में माहिर होते हैं। ये नागा साधु अखाड़ों में रहते हैं और धार्मिक संगठनों का हिस्सा होते हैं। 

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