Bibek Debroy: प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन बिबेक देबरॉय का निधन
Bibek Debroy Passed Away : प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष और अर्थशास्त्री बिबेक देबरॉय का निधन हो गया। वे 69 वर्ष के थे। अर्थशास्त्री बिबेक देबरॉय ने देश की आर्थिक नीतियों को आकार देने में मुख्य भूमिका निभाई।
बिबेक देबरॉय के बारे में
पद्म श्री से सम्मानित बिबेक देबरॉय ने पुणे के गोखले इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलिटिक्स एंड इकोनॉमिक्स के चांसलर के रूप में कार्य किया। वे 5 जून 2019 तक नीति आयोग के सदस्य रहे। उन्होंने कई पुस्तकों और लेखों का लेखन और संपादन किया, और कई समाचार पत्रों के संपादक के रूप में योगदान दिया।
मैक्रोइकॉनॉमिक्स और सार्वजनिक वित्त में विशेषज्ञता के साथ, देबरॉय ने आर्थिक सुधार, शासन, और रेलवे जैसे विषयों पर व्यापक रूप से लिखा। उन्हें महाभारत और भगवद गीता जैसे शास्त्रीय संस्कृत ग्रंथों के अनुवाद के लिए भी जाना जाता था।
उन्होंने साल 1979 से 1984 तक कोलकाता के प्रेसीडेंसी कॉलेज में अपने शैक्षणिक करियर की शुरुआत की। इसके बाद वे पुणे में गोखले इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलिटिक्स एंड इकोनॉमिक्स में शामिल हो गए, जहाँ उन्होंने 1987 तक काम किया और फिर 1993 तक दिल्ली के इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेन ट्रेड में पद संभाला।
1993 में देबरॉय वित्त मंत्रालय और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) की एक कानूनी सुधारों पर केंद्रित परियोजना के निदेशक बने और 1998 तक उन्होने ये भूमिका निभाई। उन्होंने 1994 से 1995 तक आर्थिक मामलों के विभाग में , 1995 से 1996 तक नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च में, और 1997 से 2005 तक राजीव गांधी इंस्टीट्यूट फॉर कंटेम्पररी स्टडीज में काम किया। साल 2006 में उन्होंने तक पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के साथ काम किया और फिर सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च में शामिल हो गए, जहाँ वे 2007 से 2015 तक सक्रिय रहे।
पीएम मोदी ने किया पोस्ट
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया X पर पोस्ट कर देबरॉय के निधन पर शोक जताया है। पीएम मोदी ने कहा, 'मैं डॉ. देबरॉय को कई सालों से जानता हूं। मैं उनकी अंतर्दृष्टि और अकादमिक चर्चा के प्रति उनके जुनून को हमेशा याद रखूंगा। उनके निधन से दुखी हूं। उनके परिवार और दोस्तों के प्रति मेरी संवेदनाएं हैं। पीएम मोदी ने आगे कहा, 'डॉ. बिबेक देबरॉय एक महान विद्वान थे। वह अर्थशास्त्र, इतिहास, संस्कृति, राजनीति, अध्यात्म और अन्य कई क्षेत्रों में पारंगत थे। अपने कामों के जरिए उन्होंने भारत के बौद्धिक परिदृश्य पर एक अमिट छाप छोड़ी है। सार्वजनिक नीति में अपने योगदान के अलावा, उन्हें हमारे प्राचीन ग्रंथों पर काम करना और उन्हें युवाओं के लिए सुलभ बनाना बहुत पसंद था।
बिबेक देबरॉय ने भारतीय अर्थव्यवस्था के अलग-अलग पहलुओं पर काम किया
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भी बिबेक देबरॉय के निधन पर दुख जताते हुए सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि, बिबेक देबरॉय सबसे पहले और सबसे अहम सैद्धांतिक और अनुभवी अर्थशास्त्री थे। उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था के अलग-अलग पहलुओं पर काम किया और लिखा। उनके पास स्पष्ट व्याख्या करने का एक विशेष कौशल भी था, जिससे आम लोग जटिल आर्थिक मुद्दों को आसानी से समझ सकें। कई सालों से उनके पास कई संस्थागत जुड़ाव थे, उन्होंने हर जगह अपनी छाप छोड़ी है।