CGMSC Scam: गिरफ्तार पांचो अधिकारियों को विशेष अदालत में किया पेश, EOW को मिली 7 दिन की रिमांड

Update: 2025-03-22 09:19 GMT
Court Decision

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Five Arrested officers were Sent on 7 Days Remand : रायपुर। छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कार्पोरेशन (CGMSC) में करोड़ों के रीएजेंट खरीदी घोटाले में ईओडब्लू की विशेष अदालत ने पांच आरोपियों को सात दिन की रिमांड पर भेज दिया है। ईओडब्ल्यू ने आरोपियों की 15 दिन की रिमांड मांगी थी। 

जानकारी के अनुसार ईओडब्ल्यू के अधिकारियों ने शनिवार सुबह विशेष अदालत में गिरफ्तार पांचो आरोपियों को पेश किया गया था। कोर्ट में ईओडब्ल्यू ने पूछताछ के लिए आरोपियों की 15 दिन पुलिस रिमांड मांगी थी, लेकिन विशेष अदालत के न्यायधीश ने सात दिन की पुलिस रिमांड दी है।

बता दें कि, ईओडब्ल्यू ने दो आईएएस समेत CGMSC और हेल्थ विभाग के कई अधिकारियों से पूछताछ के बाद पांचों लोगों को देर रात गिरफ्तार किया था। गिरफ्तार किये गए अधिकारियों में CGMSC के दो जीएम, हेल्थ विभाग के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. अनिल परसाई भी शामिल हैं। इस मामले में रीएजेंट सप्लायर मोक्षित कार्पोरेशन के डायरेक्टर शाशांक चोपड़ा को ईओडब्लू पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है।

ऑडिट रिपोर्ट में पकड़ाई गड़बड़ी कांग्रेस शासन काल में स्वास्थ्य विभाग के सीजीएमएससी ने मोक्षित कॉरपोरेशन के माध्यम से गड़बड़ी की। दो साल की ऑडिट ऑब्जर्वेशन रिपोर्ट में सामने आया था। ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक करोड़ों की गड़बड़ी की गई है।

जानकारी के अनुसार इस पूरे मामले को लेकर 660 करोड़ रुपए के गोलमाल को लेकर भारतीय लेखा एवं लेखा परीक्षा विभाग के प्रिंसिपल अकाउंटेंट जनरल (ऑडिट) आईएएस यशवंत कुमार ने एडिशनल चीफ सेक्रेटरी मनोज कुमार पिंगआ को पत्र लिखा था।

ये हुए खुलासे

1. सीजीएमएससी ने बिना बजट आवंटन के 660 करोड़ रुपये की खरीदी की।

2. आवश्यकता से अधिक केमिकल और उपकरण खरीद कर नियम-कानूनों को ताक पर रखकर ऐसे अस्पतालों में सप्लाई की गई, जहां इनकी कोई आवश्यकता नहीं थी।

3. 776 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को सप्लाई की गई जिनमें से 350 से अधिक केंद्रों में न तो तकनीकी सुविधा थी और न ही भंडारण व्यवस्था। इसके आलावा स्वास्थ्य विभागने उपकरणों और रीएजेंट की मांग पत्र बिना बेसलाइन सर्वेक्षण और अंतर विश्लेषण के जारी किए।

बता दें कि, सीजीएमएससी द्वारा की गई खरीदारी में बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताओं का जांच में पर्दाफाश हुआ है, जिनसे राज्य सरकार के खजाने को भारी नुकसान हुआ है। सीजीएमएससी ने बिना बजट आवंटन के स्वास्थ्य विभाग के लिए 660 करोड़ रुपये की दवाइयां और उपकरण खरीदी थीं। इनमें से अधिकांश उत्पाद जरूरत से ज्यादा थे और कई अस्पतालों में इनका उपयोग नहीं किया गया।

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