कोरोना वायरस के संकट के दौरान कृषि क्षेत्र प्रमुख ताकत के रूप में उभरा : तोमर

Update: 2020-07-06 14:12 GMT

झारखंड सहित पूर्वोत्तर राज्यों में अपार संभावनाएं, सामर्थ्यों का समुचित उपयोग करने पर जोर

नई दिल्ली। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सोमवार को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) के झारखंड में गोरिया कर्मा, बरही, हजारीबाग स्थित नवनिर्मित अतिथिगृह का आनलाइन उद्घाटन किया। साथ ही तोमर ने संस्थान के नए प्रशासनिक एवं शैक्षणिक भवन का नामकरण डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी के नाम पर किया है।

तोमर ने इस अवसर पर कहा कि कोरोना वायरस के संकट के दौर में कृषि क्षेत्र प्रमुख ताकत के रूप में उभरा है। लाॅकडाउन घोषित हुआ, तब फसल कटाई के लिए खड़ी थी, ऐसे में प्रधानमंत्री ने आवश्यक छूट दी और किसानों ने कड़ी मेहनत की। किसानों ने ग्रीष्मकालीन फसलें भी ज्यादा बुआई की और अब खरीफ सीजन में जुटे हुए हैं। बेहतर मानसून के अनुमान से फसलें भी अच्छी आने की आशा है।

उन्होंने कहा कि सरकार वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस दिशा में सरकार द्वारा कार्यक्रमों व योजनाओं के रूप में महत्वपूर्ण पहल की गई है। किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य की प्राप्ति में, बजट में घोषित सरकार के 16 सूत्रीय कार्यबिंदु एवं नए कानूनी प्रावधान व बदलाव बहुत सहायक होंगे। कृषि बाजारों को उदार बनाने, खेती को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने, कृषि आधारित गतिविधियों की हैंडहोल्डिंग प्रदान करने, टिकाऊ फसल पद्धति व ज्यादा से ज्यादा नई तकनीक अपनाने की जरूरत है।

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि सरकार ने वर्ष 2020-21 के बजट में कृषि गतिविधियों, सिंचाई व ग्रामीण विकास के लिए 2.83 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए, जो अब तक का सर्वाधिक बजट है। 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान के तहत प्रधानमंत्री ने कई उपाय घोषित किए, जिनमें कृषि क्षेत्र के लिए एक लाख करोड़ रुपये का इंफ्रास्ट्रक्चर फंड शामिल हैं। मत्स्य पालन, पशुपालन, हर्बल खेती, मधुमक्खी पालन आदि के लिए भी करोड़ों रुपये के पैकेज दिए हैं, जिनके माध्यम से खेती-किसानी से जुड़े सभी वर्गों की तरक्की सुनिश्चित होगी। इन सब उपायों से कृषि और ग्रामीण क्षेत्र के विकास के साथ-साथ देश का भी समग्र विकास संभव होगा।

तोमर ने कहा कि बढ़ती आबादी के लिहाज से खाद्यान्न आपूर्ति के लिए भविष्य में दूसरी हरित क्रांति की जरूरत होगी। झारखंड सहित पूर्वोत्तर राज्यों में यह क्रांति लाने की अपार संभावनाएं हैं और यहां के सामर्थ्यों का समुचित उपयोग करने की काफी गुंजाइश है।

कृषि मंत्री ने कहा कि हमें वैल्यू एडिशन, स्टार्टअप्स, लघु उद्योग आदि की प्रगति पर विशेष ध्यान देना होगा। कृषि क्षेत्र में किसानों की मेहनत व वैज्ञानिकों के योगदान का संगम और भी ज्यादा प्रासंगिक हो गया है। हमें आत्मनिर्भर भारत की संरचना के लिए हरसंभव प्रयास करने की आवश्यकता है।

तोमर ने कहा कि नई दिल्ली स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा संस्थान के नाम से प्रसिद्ध है, जो देश का गौरवशाली संस्थान है और खाद्यान्न की आत्मनिर्भरता में इसकी अग्रणी भूमिका रही है, बल्कि अब तो हमारा देश खाद्यान्न के मामले में सरप्लस है। पूसा संस्थान की उपस्थिति के कारण पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश जैसे पड़ोसी राज्यों में खेती-किसानी का निरंतर विकास हुआ है। इसी के मद्देनजर, प्रधानमंत्री जी की संकल्पना के अनुरूप, पूसा के अलावा और दो कृषि अनुसंधान संस्थान झारखंड व असम में खोले गए हैं। 28 जून 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झारखंड संस्थान का शिलान्यास किया था। अब उनका सपना साकार हो गया है।

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