लद्दाख। पैन्गोंग झील के दोनों किनारों को लेकर हुए समझौते के दो दिन के भीतर ही चीन ने दक्षिण तट पर तैनात 200 से अधिक मुख्य युद्धक टैंकों को वापस ले लिया है। इसी तरह उत्तरी तट के फिंगर एरिया से भी कम से कम 100 भारी वाहनों को पीछे किया गया है। भारत के साथ तीन दिन के भीतर बख्तरबंद टैंकों को पीछे हटाने का समझौता हुआ था लेकिन चीनी सेना ने दो दिनों में जिस तेजी के साथ अपने टैंक हटाए हैं उसने भारतीय सेना के शीर्ष अधिकारियों और राष्ट्रीय सुरक्षा योजनाकारों को चौंका दिया है। पैन्गोंग झील के बाद भारत की अगली नजर डेप्सांग प्लेन्स पर है जहां चीन ने टैंकों की तैनाती करके मोर्चाबंदी कर रखी है।
भारत और चीन के बीच हुए गोपनीय समझौते के बाद बुधवार को सुबह 9 बजे से चीन ने पैन्गोंग झील से पीछे हटने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी। चीनी रक्षा मंत्रालय ने बाकायदा बयान जारी करके इसकी घोषणा भी की लेकिन भारत की ओर से इस बारे में अधिकृत जानकारी दूसरे दिन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राज्यसभा में बयान देकर दी। गुरुवार शाम को ही लद्दाख सीमा से सेनाओं के पीछे हटने की तस्वीरें भी सामने आ गईं। दो दिन के भीतर ही चीन ने दक्षिण तट पर तैनात 200 से अधिक मुख्य युद्धक टैंकों को वापस ले लिया है। चीन ने फिंगर एरिया से भी कम से कम 100 भारी वाहन पीछे किये हैं।
न कोई जीता, न कोई हारा -
सूत्रों के अनुसार बीजिंग से यह समझौता विदेश मंत्री एस. जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल और चीन के अपने-अपने समकक्ष के साथ कई दौर की बैक-चैनल वार्ताओं के बाद हुआ।इसका परिणाम यह हुआ कि भारत पूर्वी लद्दाख में अपनी स्थिति पर कायम रहा और 'न कोई जीता, न कोई हारा' की तर्ज पर चीन से पीछे हटने की प्रक्रिया पहले शुरू करने के लिए कहा गया। भारत सैन्य वार्ताओं में भी यह बात कई बार साफ कर चुका था कि चीन पहले आगे आया है तो पीछे हटने की शुरुआत भी उसे ही करनी होगी। सूत्रों का कहना है कि भारतीय पक्ष ने भी अपने टैंक व हथियार वापस लिए हैं लेकिन चीन से मिले पिछले अनुभवों को देखते हुए पूरी तरह सतर्कता बरतते हुए सबसे खराब स्थिति में आकस्मिक योजनाएं तैयार भी हैं। चीनी और भारतीय सेनाओं को शनिवार की रात तक इस समझौते को पूरा करना है।