कोर्ट ने इशरत जहां को माना आतंकी, 3 पुलिस अधिकारीयों को किया बरी

Update: 2021-03-31 10:10 GMT

अहमदाबाद। अहमदाबाद की विशेष सीबीआई अदालत ने आज  2004 में हुए इशरत जहां मुठभेड़ मामले में अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने पुलिस क्राइम ब्रांच के अधिकारी तरुण बारोट, जीएल सिंघल और अंजु चौधरी को बरी कर दिया है। कोर्ट ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाया। 

अहमदाबाद में 15 जून, 2004 में हुआ यह एनकाउंटर 'इशरत जहां मुठभेड़ कांड' के नाम से चर्चित हुआ था।क्राइम ब्रांच ने लश्कर-ए-तैयबा का आतंकवादी बताते हुए 19 साल की लड़की इशरत जहां, उसके साथी जावेद शेख उर्फ ​​प्राणेश पिल्लई, जीशान जौहर और अमजद अली राणा को मुठभेड़ में मार गिराया गया था।इस मामले में आठ आरोपित थे जिनके खिलाफ सत्र न्यायालय में मुकदमा चल रहा था। मुक़दमे के दौरान शिकायतकर्ताओं में से एक जेजी परमार की मृत्यु हो गई। सीबीआई ने जब आरोप पत्र दाखिल किया, तब तक एक और आरोपित कमांडो मोहन कलासवा का भी निधन हो गया था।

गुजरात सरकार ने इस मामले में आरोपों का सामना कर रहे पुलिस अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने से इनकार कर दिया था। राज्य सरकार की तरफ से केस चलाने से इनकार करने के बाद 2019 में सेवानिवृत्त डीआईजी डीजी वंजारा और एसपी एनके अमीन को मामले से अलग कर दिया गया था। इससे पहले अदालत ने इस मामले में पूर्व प्रभारी डीजीपी पीपी पांडे को भी बरी कर दिया था। फिलहाल इस मामले के तीन आरोपित पुलिस अधिकारी आईपीएस जीएल सिंघल, रिटायर्ड पुलिस उपाधीक्षक तरुण बरोट और सहायक उप निरीक्षक अंजू चौधरी अभियोजन का सामना कर रहे थे। इस पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीई) ने विशेष अदालत से तीनों अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही बंद करने और उन्हें मामले से मुक्त करने की गुहार की थी।

पुलिस अधिकारीयों को बरी किया - 

तीनों के खिलाफ कार्रवाई ना किये जाने के फैसले के बाद ट्रायल व्यावहारिक रूप से खत्म हो गया। बुधवार को इस मामले में केस से डिस्चार्ज होने की अर्जी पर सुनवाई हुई। इस मामले में सीबीआई कोर्ट ने कहा कि क्राइम ब्रांच के अधिकारियों ने अपने कर्तव्य के तहत काम किया है। अहमदाबाद की विशेष सीबीआई अदालत ने बुधवार को इस मामले में तीनों पुलिस अधिकारियों को आईपीएस जीएल सिंघल, रिटायर्ड पुलिस उपाधीक्षक तरुण बरोट और सहायक उप निरीक्षक अंजू चौधरी बरी कर दिया।

मुख्यमंत्री की हत्या की रची थी साजिश - 

जांच में सामने आया था कि मुठभेड़ में मारे गए लोग लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े थे और तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या के इरादे से आए थे। इस मुठभेड़ के बाद इशरत जहां की मां समीमा कौसर और जावेद के पिता गोपीनाथ पिल्लई ने हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर कर मामले की सीबीआई जांच की मांग की थी। इस पर मामले की जांच के लिए हाई कोर्ट ने एक विशेष जांच समिति का गठन किया। इस मुठभेड़ में मारे गए इशरत जहां और जावेद शेख दोनों मुंबई के दोनों मूल निवासी थे। इस मामले में उस समय कई आईपीएस अधिकारी और वरिष्ठ नेताओं को गिरफ्तार किया गया था।

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