नेताओं की जेब पर लगाया चुनाव आयोग ने ताला

10 हजार से ज्यादा रकम पास नहीं रख पाएंगे;

Update: 2018-10-09 19:00 GMT

नई दिल्ली/स्वदेश वेब डेस्क। चुनाव आचार संहिता लगने के बाद राजनीतिक पार्टियों के हाथ पांव फूलने लगे हैं। उम्मीदवार एक ओर जहां अपनी सीट पक्की करने के लिए सारी कवायद कर रहे हैं वहीं चुनाव आयोग भी विधानसभा चुनाव की तैयारी में पूरी तरह से जुट गया है ताकि सही सलामत चुनाव संपन्न हो सके। इसी कड़ी में विधानसभा चुनाव के प्रत्याशियों के लिए चुनाव आयोग ने खर्च की सीमा भी तय कर दी है। चुनाव आयोग के नियमानुसार प्रत्येक प्रत्याशियों को चुनाव से पहले एक नया बैंक खाता खुलवाकर चुनाव के खर्च का ब्योरा देना होगा। साथ ही प्रत्येक प्रत्याशी 28 लाख रुपए से अधिक खर्च नहीं कर सकेंगे। अगर किसी उम्मीदवार ने इस सीमा से अधिक व्यय किया तो नामंकन भी रद्द किया जा सकता है। गौरतलब है कि पिछले चुनाव में खर्च सीमा 16 लाख रुपये थी जिसे इस बार बढ़ा दिया गया है। चुनाव आयोग के मुताबिक सभी प्रत्याशियों को अपने नामांकन दाखिले के लिए फार्म भरने से पहले एक अलग खाता भी रखना होगा और इसी बैंक के खाते से रुपए निकालकर नामांकन फार्म खरीदना होगा। इस अलग खाते से ही राशि की लेन-देन परिचालित होगा। साथ ही संगणना निर्वाचन व्यय लेखा अभिकर्ता के नाम से नामांकित होगा। खर्च की निगरानी के लिए दो टीमों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी।

प्रत्याशियों को निर्वाचन अवधि के दौरान अपना व्यय लेखा कम से कम तीन बार निर्वाचन अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत करना होगा। यहां तक कि सारा लेन-देन चेक या बैंक के अन्य साधनों से करना होगा। एक बार में 10 हजार रुपए से ज्यादा रकम अपने पास नहीं रख पाएंगे। वहीं पोस्टर, बैनर, होर्डिंग्स की साइज सहित हर खर्च के लिए दर निर्धारित कर दी गई है। प्रचार प्रसार के दौरान वाहनों की संख्या व इसके लिए खर्च का ब्योरा आयोग को देना होगा।

बता दें कि हर बार व्यय को लेकर प्रत्याशियों पर कई तरह के आरोप लगते रहे हैं इसलिए इस बार इस बार निर्वाचन आयोग ने खर्च सीमा ही बढ़ा दी है। जिससे अब चुनाव लडऩे वाले प्रत्याशी प्रचार में पहले से ज्यादा पैसे खर्च कर सकेंगे। आयोग के इस फैसले का पॉलिटिकल पार्टियों ने भी स्वागत किया है। पिछले विधानसभा चुनाव में खर्च की सीमा 16 लाख थी। हालांकि इस बार अगर उम्मीदवार चुनाव के दौरान प्रचार-प्रसार करते समय अपने कार्यकार्ताओं या मतदातोओम एक समोसा या पानी भी पिला रहे हैं तो इसकी गिनती की जाएगी और आयोग को इस खर्च का हिसाब देना पड़ेगा। 

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