भारत-चीन संबंध आज दोराहे पर, असर पूरे विश्व पर नजर आएगा : विदेश मंत्री

Update: 2021-01-28 09:21 GMT

नईदिल्ली। पूर्वी लद्दाख के घटनाक्रम के बाद भारत-चीन संबंध आज दोराहे पर हैं। दोनों क्या विकल्प चुनते हैं, इससे दो राष्ट्रों ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व पर गहरा असर होगा। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ये बात चाइनिज स्टडिस के 13वें अखिल भारतीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहीं  

विदेश मंत्री ने भारत-चीन संबंधों के भूत और वर्तमान की वास्तविकता को स्पष्ट रेखांकित किया और बताया कि भविष्य के लिए क्या जरूरी है। उन्होंने संबंधों के विकास के लिए सम्मान, संवेदनशिलता और आपसी हितों का ध्यान रखने को जरूरी बताते हुए आठ नियमों के पालन पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि चीन भारतीयों को स्टेपल वीजा देता रहा, अपने सैनिकों पर लगाम नहीं लगाई, भारत की न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की सदस्यता में अड़ंगा डाला, पाकिस्तान के आंतकियों पर प्रतिबंध की सुरक्षा परिषद में भारत की पहल को रोकने की कोशिश की। वादा करने के बावजूद चीन के बाजारों तक पहुंच नहीं दी। चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के जरिए भारत की संप्रभुता का उल्लंघन किया और सीमा पर कुछ बिन्दुओं पर तनाव की स्थिति बरकरार रखी।

चीन को बताये आठ सिद्धांत -

विदेश मंत्री ने आठ सिद्धातों के पालन पर जोर देते हुए कहा कि चीन को चाहिए की वह समझौतों का पालन करे, वास्तविक नियंत्रण रेखा का सम्मान हो और एकतरफा बदलाव की कोशिशें न हो। सीमा पर शांति और सामान्य स्थिति बनाए रखे, बहुपक्षीय विश्व के साथ बहुपक्षीय एशिया को भी स्वीकारा जाए, एक दूसरे के हितों, चिंताओं और प्राथमिकताओं के प्रति संवेदनशीलता रखी जाए। उभरती शक्तियों के तौर पर एक दूसरे की आकांक्षाओं व अपेक्षाओं की अनदेखी न हो। मतभेदों का उचित प्रबंधन हो और सभ्यागत राष्ट्रों के नाते भविष्य की ओर दूरदृष्टि रखी जाए।

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