नई दिल्ली। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि मुझे आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि राफेल की क्षमताओं और तकनीकी बढ़त से हमारी वायु सेना की ताकत बढ़ी है। आज इनका वायुसेना में शामिल होना पूरी दुनिया, ख़ासकर हमारी संप्रभुता की ओर उठी निगाहों के लिए एक 'बड़ा और कड़ा' संदेश है। हमारी सीमाओं पर जिस तरह का माहौल हाल के दिनों में बना है, या मैं सीधा कहूं कि बनाया गया है, उनके लिहाज़ से यह बहुत महत्वपूर्ण है। हम यह अच्छी तरह से समझते हैं कि बदलते समय के साथ हमें स्वयं को भी तैयार करना होगा। उन्होंने भारतीय वायुसेना के सहयोगियों को बधाई देते हुए कहा कि चीन सीमा पर हाल में हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना के दौरान जिस तेजी से और सूझ-बूझ के साथ कार्रवाई की, वह आपकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
उन्होंने कहा, 'मैं आज यहां भारतीय वायु सेना के साथियों को बधाई देना चाहूँगा की, सीमा पर हाल में हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना के दौरान, LAC के पास भारतीय वायु सेना ने जिस तेजी और सूझ-बूझ से कार्रवाई की, वह आपकी प्रतिबद्धता को दिखाता है।'
राजनाथ सिंह ने कहा कि जिस गति से IAF ने अपनी संपत्ति को आगे के ठिकानों पर तैनात किया, उससे विश्वास पैदा होता है कि हमारी वायु सेना अपने परिचालन दायित्वों को पूरा करने के लिए पूरी तरह से तैयार है।
रक्षामंत्री ने कहा कि हम दोनों देश 'लिबर्टी', 'इक्वलिटी', 'बिरादरी' और 'वसुधैव कुटुंबकम' के सार्वभौमिक सिद्धांतों को मजबूत करने और पूरी दुनिया में इसे प्रसारित करने के लिए भी प्रतिबद्ध हैं। भारत और फ्रांस के बीच एक विशेष रणनीतिक साझेदारी है, जो समय के साथ लगातार मजबूत हो रही है। भारत की स्वाधीनता के बाद हमारे देश और फ्रांस के बीच जीवंत रक्षा सहयोग विकसित हुआ है। राजनाथ सिंह ने कहा कि आपसी रक्षा सहयोग से हमारी वायु सेना ने फ्रांसीसी लड़ाकू विमान से अपने आपको न सिर्फ सुसज्जित किया है बल्कि कई अभियानों को सफलतापूर्वक अंजाम भी दिया है। 1965 के युद्ध में पाकिस्तान के खिलाफ़ हमारी विजय इस बात का गवाह है। इसके बाद वायुसेना ने 1999 में कारगिल में भी इतिहास बनाया। भारतीय वायु सेना सैन्य निरोध बनाए रखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और आपकी कार्रवाई किसी भी खोजी युद्ध में निर्णायक होगी। जहां एक ओर हमारी भौगोलिक सीमाओं पर कायम परिस्थिति ने हमारा ध्यान खींचा है, हमें प्रायोजित आतंकवाद के खतरे को भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
हमारी जिम्मेदारियां केवल अपनी क्षेत्रीय सीमाएं तक ही सीमित नहीं हैं, हम भारत-प्रशांत क्षेत्र और हिंद महासागर क्षेत्र में भी लगातार एक जिम्मेदार देश के रूप में विश्व शांति और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ परस्पर सहयोग के लिए प्रतिबद्ध हैं। मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि इस क्षेत्र की सुरक्षा चिंताओं में, भारत और फ्रांस का दृष्टिकोण एक है जिनके तहत हम समुद्री यातायात सुरक्षा और समुद्री डकैती जैसे आम चुनौतियों से निपटने में एक दूसरे को सहयोग कर रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के विस्तार और आतंकवाद के खिलाफ़ लड़ाई में भी भारत और फ्रांस के विचार एक हैं। हाल की मास्को यात्रा में मैंने भारत के दृष्टिकोण को विश्व के सामने रखा। मैंने भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को किसी भी परिस्थिति में प्रतिबद्ध नहीं करने के संकल्प से भी सबको अवगत कराया और इसके लिए हम हरसंभव तैयारी करने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं।