अब दुश्मनों पर निगाह रखने के लिए इजरायल से 2 'आसमानी आंख' खरीदने जा रहा भारत
चीन-पाक की हरकतों पर रखेगा पैनी नजर
नई दिल्ली। लद्दाख में चीन के साथ जारी गतिरोध के बीच केंद्र सरकार दो PHALCON हवाई चेतावनी और नियंत्रण प्रणाली (AWACS) के अधिग्रहण को अगले सप्ताह की शुरुआत में पूरा करने के लिए तैयार है। भारत के पास 360 डिग्री पर घूमने वाले रोटोडोम लगे तीन PHALCON AWACS और डीआरडीओ निर्मित दो AWACS हैं। वहीं, चीन के पास 28 और पाकिस्तान के पास सात हैं, जो विपरीत परिस्थितियों में हवाई हमले को कमांड देने के काम करता है।
वर्तमान समय में देश में दोतरफा खतरा मंडरा रहा है जिस वजह से समझौते को जल्द से जल्द अंतिम रूप देना भारत चाहता है. इजरायल के फाल्कन अवाक्स को रूस की इल्यूसिन-76 हैवी लिफ्ट एयरक्राफ्ट के ऊपर सेट करने का प्लान है. यहां आपको बता दें कि भारतीय वायुसेना के पास पहले से ही तीन फाल्कन अवाक्स हैं जिसे वह ऑपरेट करती है. भारतीय वायुसेना में इनकी इंट्री 2009 से लेकर 2011 के बीच हुई थी.
इस समझौते के तहत इजरायल भारत को दो फाल्कन एयरबॉर्न वॉर्निग एंड कंट्रोल सिस्टम (अवाक्स) की सप्लाई करेगा। पहले भी इस डील की कीमत को लेकर भारत और इजरायल के बीच कई बार बातचीत हो चुकी है। हालांकि, दोतरफा खतरे को देखते हुए इस समझौते को जल्द से जल्द अंतिम रूप देने के लिए भारत पर दबाव बढ़ता जा रहा है। PHALCON रडार की कीमत तकरीबन 100 करोड़ डॉलर है। वहीं, इसके प्लेटफार्म की भी कीमत 100 करोड़ डॉलर है। रडार और प्लेटफॉर्म को इज़राइल में तैयार किया जाएगा। फुल सिस्टम के भारत आने में तकरीबन दो से तीन साल लगेंगे।
भारतीय वायु सेना द्वारा 26 फरवरी के बालाकोट हमले के बाद पाकिस्तानी हवाई हमले के दौरान सबसे पहले इसकी की आवश्यकता महसूस की गई। जब पाकिस्तान अपने वायु क्षेत्र में किसी भी घुसपैठ का पता लगाने और उसे हटाने के लिए दो स्वीडिश निर्मित AWACS के साथ चक्कर लगा रहा था, उस समय भारतीय वायुसेना अपने संसाधनों की कमी के कारण कई बार असुरक्षित महसूस कर रही थी। साथ ही पूर्वी लद्दाख में चीन की एकतरफा आक्रामकता और दोनों पक्षों में विशेष प्रतिनिधियों के सहमत होने के बाद भी स्थिति में सुधार लाने के लिए अनिच्छा के कारण आकाश में इसकी अधिक आवश्यकता महसूस की गई।