कैबिनेट, राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और राज्यमंत्री में ये है अंतर, जाने किसके क्या हैं अधिकार
नईदिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में आज बड़ा फेरबदल हुआ। राष्ट्रपति ने 43 मंत्रियों को शपथ दिलाई। जिसमें 15 को कैबिनेट और 28 को राज्यमंत्री बनाया गया। इस विस्तार के बाद से मंत्रिमंडल की संरचना क्या होती है,कैबिनेट, राज्यमंत्रियों के अधिकारों में क्या अंतर है, इसकी चर्चा चल रही है। आइए जानते है की भारत का मंत्रिमंडल कैसा होता है और किस मंत्री के क्या अधिकार होते है।
भारत के केंद्रीय मंत्रिमंडल में तीन प्रकार के मंत्री होते हैं। इनमें कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री और राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार तीन तरह के मंत्री होते हैं।इनमें शक्ति के आधार पर कैबिनेट मंत्री पहले नंबर पर आते हैं। दूसरे नंबर पर राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार, तीसरे क्रम पर राज्यमंत्री होते है।
कैबिनेट मंत्री -
ये मंत्रालय प्रमुख होते है, इन्हीं के पास मंत्रालय का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी होती है। इन्हें एक से अधिक मंत्रालयों की जिम्मेदारी दी जाती है। यही मंत्री हर हफ्ते कैबिनेट की बैठक में भाग लेते है और सरकार के सभी फैसले, अध्यादेश, नये कानून, कानून संसोधनों को कैबिनेट की बैठक में तय करते है।
राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) -
इन्हें जूनियर या कनिष्ठ मंत्री कहते हैं, इनके मंत्रालय का कोई कैबिनेट मंत्री नहीं होता। ये सीधे प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करते है। स्वतंत्र प्रभार वाले राज्यमंत्रियों के पास आवंटित मंत्रालय और विभाग की पूरी जवाबदेही होती है। विशेष मौकों पर ही कैबिनेट बैठक में भाग लेते है।
राज्यमंत्री -
राज्यमंत्री कैबिनेट मिनिस्टर के सहायक मंत्री होते है। ये कैबिनेट मंत्री को ही रिपोर्ट करते है। एक कैबिनेट मंत्री के साथ एक या उससे अधिक कई राज्यमंत्री हो सकते है। जिनके बीच मंत्रालय के आंतरिक विभागों का बंटवारा होता है। ताकि वो कैबिनेट मंत्री को मंत्रालय चलाने में मदद कर सकें।
मंत्रियों को मिलने वाला वेतन और भत्ते -
- कैबिनेट मंत्री को 1,00,000 रुपए प्रतिमाह मूल वेतन मिलता है, इसके आलावा निर्वाचन क्षेत्र भत्ता 70,000 रुपए, कार्यालय भत्ता 60,000 रुपए और सत्कार भत्ता 2,000 रुपए रुपए शामिल है।
- राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार को 1,000 रुपए प्रतिदिन।
- राज्यमंत्री 600 रुपए प्रतिदिन सत्कार भत्ता मिलता है।