पंजाब का चंडीगढ़ पर दावा महज राजनीतिक दांव, मोहाली बन चुका है मिनी राजधानी
दो दर्जन से अधिक मुख्यलय मोहाली में हो चुके हैं शिफ्ट
चंडीगढ़। पंजाब की सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी की सरकार द्वारा चंडीगढ़ पूरी तरह से पंजाब को सौंपने के लिए विधानसभा में भले ही प्रस्ताव पारित कर दिया गया है लेकिन सच्चाई यह है कि पंजाब के ज्यादातर दफ्तर मोहाली में शिफ्ट हो चुके हैं। ऐसे में पंजाब का चंडीगढ़ पर दावा केवल राजनीतिक है। पिछले करीब दो दशकों के भीतर चंडीगढ़ से सटा मोहाली पंजाब की मिनी राजधानी के रूप में विकसित हो चुका है।
दिलचस्प बात यह है कि पंजाब में वर्ष 2000 के बाद सत्ता में आई सरकारों ने सियासी रूप से तो चंडीगढ़ पर अपना दावा किया लेकिन यहां चल रहे अपने विभागों के दफ्तरों को मोहाली में शिफ्ट करते रहे। एक नवंबर, 1966 को हरियाणा व पंजाब अलग होने के बाद 1969 में यहां पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड के मुख्यालय की स्थापना की गई। 2002 में पंजाब की सत्ता संभालने वाली अमरिंदर सरकार ने पंजाब शहरी विकास प्राधिकरण (पूडा) के दफ्तर को पूरी तरह से मोहाली में शिफ्ट कर दिया।
मोहाली में कार्यालय शिफ्ट -
इस बीच अप्रैल 2006 में मोहाली को जिला का दर्जा दे दिया और वर्ष 2007 में आई बादल सरकार ने एक के बाद कई दफ्तरों को चंडीगढ़ में बंद करके मोहाली शिफ्ट कर दिया।वर्ष 2017 में सत्ता संभालने वाली अमरिंदर सरकार ने किराए की इमारतों में दफ्तर चलने का हवाला देकर 30 दफ्तरों को चंडीगढ़ में बंद करके मोहाली में शिफ्ट करने का फैसला लिया। जिसमें से आज 24 विभागों के कार्यालय मोहाली में शिफ्ट हो चुके हैं।
मोहाली बनी मिनी राजधानी -
पूर्ववर्ती अमरिंदर तथा बादल सरकारों के कार्यकाल के दौरान पंजाब विजिलेंस ब्यूरो, वन विभाग, मेडिकल एजुकेशन एवं रिसर्च, पंजाब हेल्थ सिस्टम कारपोरेशन, वाटर सप्लाई एवं सीवरेज बोर्ड, पंजाब नर्सिंग काउंसिल, स्टेट साइबर सेल, क्राइम सेल, एनआरआई सेल, एसटीएफ, इंटेलीजेंस ब्यूरो, कृषि विभाग आदि के मुख्यालय चंडीगढ़ से मोहाली में शिफ्ट हो चुके हैं। चंडीगढ़ से सरकारी दफ्तरों को मोहाली में शिफ्ट करने की प्रक्रिया अभी भी जारी है। इसके बावजूद पंजाब सरकार द्वारा सातवीं बार चंडीगढ़ पर अपना दावा ठोकते हुए विधानसभा में प्रस्ताव पारित किया गया है।
अब पंजाब का चंडीगढ़ में क्या -
पंजाब के मुख्यमंत्री तथा मंत्रियों के कार्यालय चंडीगढ़ स्थित मुख्य सचिवालय में चल रहे हैं। पंजाब की विधानसभा भी चंडीगढ़ में है। इन इमारतों को लेकर भी पंजाब का हरियाणा के साथ विवाद चल रहा है। हाईकोर्ट पंजाब व हरियाणा का साझा है। पंजाब के सभी मंत्रियों तथा अधिकारियों के आवास चंडीगढ़ में हैं। हालांकि बादल सरकार के कार्यकाल में एक बार अधिकारियों व मंत्रियों के लिए मोहाली में आवास बनाने का प्रस्ताव भी आ चुका है।