नई दिल्ली। केंद्रीय श्रम मंत्रालय ने देशभर में रीजनल प्रविडेंट फंड ऑफिस के साथ ही राज्य कर्मचारी बीमा निगम से संगठित क्षेत्र में नौकरियों के नुकसान और सैलरी मे कटौती का आंकड़ा मांगा है। इस बारे में एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर प्रधानमंत्री कार्यालय को दी जाएगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इंडस्ट्री से कहा था कि संकट के इस दौर में कर्मचारियों की छंटनी न की जाए। एंप्लॉयीज प्रविडेंट फंड ऑर्गनाइजेशन के पास पेंशनर्स सहित लगभग छह करोड़ सब्सक्राइबर्स हैं। ESIC के सब्सक्राइबर्स की संख्या तीन करोड़ से अधिक है।
अधिकतर कंपनियों में महीने के अंतिम दिन या अगले महीने की 7 तारीख को वेतन दिया जाता है। अगर वेतन देने में देरी होती है तो उसकी रिपोर्ट सरकार को दी जाएगी। इस मामले की जानकारी रखने वाले एक सरकारी अधिकारी ने ईटी को बताया कि EPFO के ऑफिस से सब्सक्राइबर्स से टेलिफोन पर बात करने के लिए कहा गया है।
लेबर मिनिस्ट्री ने सेंट्रल चीफ लेबर कमिश्नर के तहत कर्मचारियों की नौकरी के नुकसान या सैलरी में कटौती से संबंधित शिकायतों के समाधान के लिए देशभर में 20 कॉल सेंटर बनाए हैं। इन कॉल सेंटर पर मिली जानकारी को भी रिपोर्ट में शामिल किया जाएगा। इसके अलावा, लेबर मिनिस्ट्री ने एक अडवाइजरी जारी कर एंप्लॉयीज को यह आश्वासन देने के लिए कहा है कि उनकी नौकरी का नुकसान या सैलरी में कटौती नहीं होगी। एक अन्य अधिकारी ने बताया, 'इस डेटा से यह पता चल सकेगा कि कौन से सेक्टर्स और कर्मचारियों पर लॉकडाउन के बाद कारोबार बंद होने का सबसे अधिक असर पड़ा है।' कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए सरकार ने देशभर में लॉकडाउन को 3 मई तक बढ़ा दिया है।
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने गुरुवार को जारी एक नोट में बताया कि लॉकडाउन के कारण लगभग 37.3 करोड़ वर्कर्स को प्रतिदिन करीब 10,000 करोड़ रुपये की आमदनी का नुकसान हो रहा है। लॉकडाउन की पूरी अवधि के लिए यह नुकसान 4 लाख करोड़ रुपये से अधिक का होगा। सूत्रों ने ईटी को बताया कि इस डेटा से सरकार को महामारी के संकट के दौर में वर्कर्स की सोशल सिक्योरिटी के लिए योजना बनाने में भी मदद मिलेगी। देश में लगभग 50 करोड़ वर्कफोर्स है और इसमें से 10 पर्सेंट से अधिक ऑर्गनाइज्ड सेक्टर में है।
लॉकडाउन के पहले चरण में केंद्र सरकार की ओर से घोषित किए गए 1.7 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज में सरकार ने 15,000 रुपये प्रति माह से कम वेतन वाले कर्मचारियों के लिए प्रविडेंट फंड का योगदान तीन महीने तक करने की घोषणा की थी। हालांकि, यह उन्हीं फर्मों के लिए लागू होगा, जिनके कर्मचारियों की संख्या 100 तक है और उनमें से 90 पर्सेंट को 15,000 रुपये प्रति माह से कम वेतन मिलता है।