1962 याद रखें, राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर सियासत ठीक नहीं : शरद पवार

Update: 2020-06-27 14:34 GMT

नई दिल्ली। भारत चीन तनाव को लेकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष शरद पवार ने कहा है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर राजनीति नहीं की जानी चाहिए। दरअसल, गलवान घाटी में भारत चीन सीमा गतिरोध को लेकर कांग्रेस केंद्र पर लगातार हमले कर रही है। पवार की टिप्पणी कांग्रेस नेता राहुल गांधी के उस आरोप के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में आई जिसमें कहा गया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय क्षेत्र को चीन की अक्रामता के आगे सरेंडर कर दिया है।

राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी गलवान घाटी में 15 जून को भारत और चीनी सैनिकों के हिंसक झड़प के बाद से लगातार केंद्र पर निशाना साध रही है। कांग्रेस पार्टी ने कहा है कि चीन के साथ गतिरोध को लेकर खुद प्रधानमंत्री का सामने आना चाहिए और जनता को सच्चाई बतानी चाहिए। वहीं, शरद पवार ने कहा कि 1962 के युद्ध के बाद पहली बार ऐसा हुआ जब पड़ोसी देस ने भारतीय भूमि के बड़े हिस्से पर दावा किया है।

पूर्व रक्षा मंत्री ने सतारा में मीडिया से बात करते हुए कहा कि हम यह नहीं भूल सकते कि 1962 में क्या हुआ था जब चीन ने भारतीय क्षेत्र के 45,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर कब्जा कर लिया था। उन्होंने कहा कि यह आरोप लगाने का समय नहीं है। किसी को यह भी देखना चाहिए कि अतीत में क्या हुआ था। यह राष्ट्रीय हित का मुद्दा है और इस पर राजनीति नहीं करनी चाहिए।

बता दें कि महाराष्ट्र में राकांपा कांग्रेस की सहयोगी है और वो शिवसेना के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र विकास अघडी सरकार का हिस्सा हैं। भारत-चीन सीमा विवाद 3,488 किमी वास्तविक नियंत्रण रेखा को कवर करता है। राकांपा प्रमुख ने यह भी कहा कि गालवान घाटी में गतिरोध के लिए केंद्र को दोषी नहीं ठहराया जा सकता।

उन्होंने कहा कि जब उन्होंने भारतीय जमीन पर अतिक्रमण करने कोशिश की तो हमारे सैनिकों ने चीनी सेना के जवानों को पीछे धकेलने की कोशिश की। इसलिए यह कहना कि किसी का भी या फिर रक्षा मंत्री की विपलता है तो यह सही नहीं है। अगर हमारी सेना अलर्ट पर नहीं होती तो हमे चीन के दावे के बारे में नहीं पता होता। उन्होंने कहा कि हाथापाई का मतलब यह है कि हम सतर्क थे अन्यथा हम अनजान में पकड़े जाते। इसलिए मुझे नहीं लगता है कि ऐसे आरोप लगाना उचित होगा।

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