नईदिल्ली। अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर पिछले एक साल से ज्यादा समय से जूझ रही केंद्र सरकार को थोक महंगाई के मोर्चे पर भी जोरदार झटका लगा है। देश में थोक महंगाई दर पिछले आठ साल के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गई है। मार्च के महीने में थोक महंगाई दर 7.39 फीसदी के स्तर पर पहुंच गई। जबकि इसके पहले फरवरी के महीने में थोक महंगाई दर 4.17 फीसदी के स्तर पर थी।थोक महंगाई दर के गुरुवार को जारी हुए आंकड़ों के अनुसार फ्यूल और पावर सेक्टर में आई तेजी के कारण थोक महंगाई दर ने लंबी छलांग लगाई है। महंगाई दर में आए इस उछाल के लिए मैनुफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की कीमत में आए उछाल को भी काफी हद तक जिम्मेदार माना जा रहा है।
आज जारी हुए आंकड़ों के अनुसार मार्च के महीने में फ्यूल और पावर सेक्टर में महंगाई की दर बढ़कर 10.25 फीसदी के स्तर पर पहुंच गई थी जबकि फरवरी के महीन में ये सिर्फ 0.58 फीसदी के स्तर पर ही था। इसी तरह प्राइमरी आर्टिकल्स में भी महंगाई की दर ने तेज छलांग लगाई और फरवरी की तुलना में मार्च के महीने मे तीन गुना ज्यादा हो गई। फरवरी के महीने में प्राइमरी आर्टिकल्स की महंगाई दर 1.82 फीसदी थी, जो मार्च के महीने में 6.40 फीसदी पर पहुंच गई थी।
खाने-पीने की चीजों की थोक कीमत में भी मार्च के महीने में तेजी दर्ज की गई। मार्च में खाद्य थोक महंगाई दर 5.28 फीसदी के स्तर पर पहुंच गई थी, जो फरवरी के महीने में 3.31 फीसदी के स्तर पर थी। मार्च में दाल की महंगाई दर फरवरी के 10.25 फीसदी से बढ़कर 13.14 फीसदी पर आ गई। प्याज की महंगाई फरवरी के 31.28 फीसदी से घटकर 5.15 फीसदी पर पहुंच गई है। इसी तरह मार्च में दूध की महंगाई फरवरी के 3.21 फीसदी से घटकर 2.65 फीसदी पर रही, जबकि अंडा, मीट और मछली की महंगाई फरवरी के -0.78 फीसदी से बढ़कर 5.38 फीसदी हो गई।
थोक महंगाई दर पर मैनुफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की कीमतों ने काफी असर डाला है। फरवरी के महीने में मैनुफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स में 5.81 फीसदी की तेजी देखी गई थी, लेकिन मार्च के महीने में इन उत्पादों में 7.34 फीसदी की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई।गौरतलब है कि मैनुफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की थोक मूल्य सूचकांक में 64 फीसदी की हिस्सेदारी होती है। ऐसे में इनकी कीमत में आने वाली तेजी और मंदी का ओवरऑल थोक महंगाई दर पर काफी असर पड़ता है।