21 वर्षों के निचले स्तर पर पहुंचा कच्चा तेल

Update: 2020-04-20 15:32 GMT

लंदन। कोरोना वैश्विक महामारी के कारण कच्चे तेल की कीमतों में सोवार को बड़ी गिरावट दर्ज की गई और इसने 21 साल का निचला स्तर छू दिया। कोरोना वायरस महामारी के कारण मांग निचले स्तर पर पहुंचने से अमेरिका की स्टोरेज फसिलिटीज के जल्द फुल होने तथा साल कंपनियों के बद्तर नतीजे आने की आशंका से तेल की कीमतों में यह गिरावट दर्ज की गई है।

ब्रेंट क्रूड की कीमत 2.6% की गिरावट के साथ 27.35 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंंच गया। वहीं, डब्ल्यूटीआई वायदा 19.3% की गिरावट के साथ 14.74 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। कारोबार के दौरान डब्ल्यूटीआई 21% की गिरावट के साथ प्रति बैरल 14.47 डॉलर के स्तर को छू दिया, जो मार्च 1999 के बाद सबसे निचला स्तर है।

आईएनजी के कमोडिटीज स्ट्रैटिजी के हेड वॉरेन पैटरसन ने कहा, 'मई का कॉन्ट्रैक्ट कल समाप्त होने वाला है और जून के कॉन्ट्रैक्ट में पहले से ही काफी ज्यादा तेल बचा हुआ है।' अमेरिका की स्टोरेज फैसिलिटीज खासकर ओकलहोमा में तेल की मात्रा बढ़ रही है, क्योंकि रिफाइनर्स कम मांग की समस्या से जूझ रहे हैं। ऑइल मार्केट्स के हेड जॉर्नर टॉनहाउगन ने कहा, 'उत्पादन जारी रहने से भंडार जल्द ही भर जाएगा। दुनिया में तेल की खपत बहुत तेजी से घटी है और इसका असर तेल की कीमतों पर देखने को मिलेगा।'

कोरोना वायरस के कारण अमेरिका समेत पूरे विश्व की हालत खराब है। इससे एनर्जी सेक्टर बुरी तरह प्रभावित है। फैक्ट्री में कामकाज घटा है और एविएशन सेक्टर में मंदी के कारण तेल की डिमांड काफी गिर गई है, जिससे कीमत पर दबाव बढ़ गया है। अमेरिकी तेल कंपनियों पर कर्ज का बोझ बैंकिंग और फाइनैंशल सेक्टर के लिए भी खतरा है। अगर कोई भी कंपनी दिवालिया होती है तो इससे अमेरिका की पूरी इकॉनमी पर असर होगा। इस खेल में पुतिन मानने को तैयार नहीं है, ऐसे में अमेरिका को अभी भी और दर्द उठाने होंगे। 

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