ऊर्जा कीमतों में बढ़ोत्तरी का असर, फिच ने भारत की विकास के अनुमान को घटाया

Update: 2022-03-22 12:46 GMT

नईदिल्ली। रूस-यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के कारण पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर काफी प्रतिकूल असर पड़ा है। इसकी वजह से कमोडिटी सेक्टर में तेजी का रुख बनने के साथ ही ऑयल मार्केट में भी जोरदार तेजी बनी हुई है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बनी इस स्थिति के कारण रेटिंग एजेंसी फिच ने भारत के विकास अनुमानों को संशोधित कर नए अनुमान जारी कर दिए हैं। फिच ने पहले भारत के लिए 10.3 प्रतिशत की दर से विकास का अनुमान लगाया था, लेकिन अब इस एजेंसी ने भारत के विकास अनुमान को घटाकर 8.5 प्रतिशत कर दिया है।

फिच की रिपोर्ट में कहा गया है कि रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध की वजह से दुनिया भर में ऊर्जा उत्पादन, संग्रहण, वितरण और इसकी आपूर्ति की कीमत में बढ़ोतरी हो गई है। आने वाले दिनों में ये बढ़ोतरी और भी अधिक होने की आशंका है। इससे अपनी अधिकतम ऊर्जा जरूरतों के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार पर निर्भर रहने वाले भारत जैसे देश में विकास की गति भी प्रभावित हो सकती है। इसी वजह से भारत के विकास अनुमान पहले आकलित 10.3 प्रतिशत से घटकर 8.5 प्रतिशत के स्तर तक रह सकते हैं। एजेंसी ने अपनी ताजा रिपोर्ट में मौजूदा वित्त वर्ष के लिए भारत के जीडीपी ग्रोथ रेट के अनुमान को भी 9.3 प्रतिशत से घटाकर 8.7 प्रतिशत कर दिया है।

ऊर्जा संसाधनों की आपूर्ति -

फिच की रिपोर्ट में कहा गया है कि रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के कारण रूस से अंतरराष्ट्रीय बाजार में पहुंचने वाले ऊर्जा संसाधनों पर दुनिया के बड़े भूभाग में पूरी तरह से रोक लग गई है। रूस अंतरराष्ट्रीय बाजार में करीब 10 प्रतिशत ऊर्जा संसाधनों की आपूर्ति करता है। इसमें अंतराराष्ट्रीय बाजार में होने वाली कुल आपूर्ति में रूस से आने वाला 17 प्रतिशत प्राकृतिक गैस और 12 प्रतिशत कच्चा तेल भी शामिल है।

प्रतिकूल असर पड़ने की आशंका - 

एजेंसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि यूक्रेन के साथ युद्ध शुरू होने के बाद अमेरिका तथा अन्य पश्चिमी देशों की ओर से रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों के कारण वहां से आने वाले कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस जैसे ऊर्जा संसाधनों की अंतरराष्ट्रीय बाजार में आपूर्ति काफी हद तक रुक गई है। इस वजह से दुनिया भर में ऊर्जा संसाधनों की कीमत में तेजी का रुख बन गया है। ऐसा होने की वजह से तमाम उद्योगों की उत्पादन क्षमता के साथ ही उनकी उत्पादन लागत पर भी प्रतिकूल असर पढ़ रहा है जिससे उपभोक्ताओं की वास्तविक आय और प्रत्यक्ष बचत पर भी प्रतिकूल असर पड़ने की आशंका बन गई है।

सकल घरेलू उत्पाद के वृद्धि दर में कमी -  

रेटिंग एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद के वृद्धि दर अनुमान को भी 4.2 प्रतिशत से घटाकर 3.5 प्रतिशत कर दिया है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि रूस और यूक्रेन अभी जारी जंग के साथ ही कोरोना महामारी ने एक बार फिर चीन और कोरिया जैसे देशों में पैर पसारने के संकेत दिए हैं। इसकी वजह से दुनिया की अर्थव्यवस्था एक बार फिर प्रभावित हो सकती है। ऐसा होने पर वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद पर तो असर पड़ेगा ही, तेजी से आगे बढ़ रही भारत जैसी अर्थव्यवस्था वाले देशों पर भी तात्कालिक तौर पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है।

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