अब कम ब्याज पर मिलेगा होम लोन, आरबीआई ने जगाई उम्मीद

Update: 2020-10-24 06:41 GMT

नई दिल्ली। आरबीआई के निर्देश के बाद आवास वित्त कंपिनयों को अपने नेट असेट का 60 फीसदी होम लोन के तौर पर देना होगा। यानी, उनको अपने कारोबार में होम लोन को मुख्य रूप से शामिल करना होगा। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे व्यक्तिगत होम लोन लेने वाले को राहत मिलेगी। ये कंपनियां अपने पोर्टफोलियो में होम लोन की हिस्सेदारी बढ़ाने और ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए सस्ते ब्याज दर पर लोन मुहैया कराएंगे। साथ ही लोन की शर्तों को भी आसान बनाएंगे। इससे लोन लेने वालों को राहत मिलेगी।

भारतीय रिजर्व बैंक ने आवास वित्त कंपनियों के लिए न्यूनतम स्वामित्व कोष (एनओएफ) की सीमा 25 करोड़ रुपये तय कर दी है। जिन आवास वित्त कंपनियों का एनओएफ 25 करोड़ रुपये से कम है उन्हें 31 मार्च 2022 तक 15 करोड़ रुपये और 31 मार्च 2023 तक 25 करोड़ रुपये की सीमा को पूरा करना होगा। रिजर्व बैंक ने आवास वित्त कंपनियों के लिए संशोधित नियम जारी किए हैं। केंद्रीय बैंक ने इसके अलावा कहा कि इन आवास वित्त कंपनियों का एओएफ वर्तमान में 20 करोड़ रुपये से नीचे हैं, उन्हें एक माह के भीतर इस सीमा को पूरा करने का वैधानिक ऑडिटर प्रमाणपत्र आरबीआई के पास जमा करना होगा।

बैंकिंग विशेषज्ञों का कहना है कि आरबीआई के निर्देश के मुताबिक, एचएफसी या तो रियल एस्टेट कारोबार में ग्रुप कंपनी में एक्सपोजर ले सकती हैं या ग्रुप की कंपनियों के प्रोजेक्ट्स में रिटेल घर खरीदारों को उधार दे सकती हैं। हालांकि, इन दोनों को एक साथ नहीं कर सकते हैं। आरबीआई ने एक ड्राफ्ट रेगुलेशन में कहा कि इसका उद्देश्य ग्रुप कंपनियों को लोन देने के कारण दोहरे वित्तपोषण पर चिंताओं को समाप्त करना है। इसमें कंपनियों से फ्लैट खरीदने वाले व्यक्तियों को भी शामिल करना है। इसमें कहा गया है कि एचएफसी का एक्सपोजर (लोन और निवेश) ग्रुप की एक कंपनी में 15 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकता है। जबकि पूरे ग्रुप में 25 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकता है।

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