संसद में पास हुआ इंश्योरेंस अमेंडमेंट एक्ट, 74 फीसदी एफडीआई को मिली मंजूरी

Update: 2021-03-22 14:26 GMT

नईदिल्ली। लोकसभा ने आज बीमा क्षेत्र में 74 फीसदी विदेशी निवेश वाले विधेयक इंश्योरेंस अमेंडमेंट बिल 2021 को मंजूरी दे दी। इसके पहले राज्यसभा से 18 मार्च को ही ये विधेयक पास हो चुका है। बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा 49 फीसदी से बढ़ाकर 74 फीसदी करने से संबंधित इस विधेयक को लाने का ऐलान इस साल 1 फरवरी को बजट पेश करते वक्त वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने किया था।

आज लोकसभा में कांग्रेस और दूसरी विपक्षी पार्टियों ने बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा को बढ़ाए जाने के बिल का विरोध करते हुए सदन का बहिष्कार किया। कांग्रेस इस बिल को भारतीय बीमा क्षेत्र को नुकसान पहुंचाने वाला विधेयक बताते हुए इसे सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने की मांग कर रही थी। कांग्रेस समेत दूसरे दलों का कहना था कि बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश को 74 फीसदी तक कर देने से भारतीय बीमा कंपनियों पर विदेशी निवेशकों का नियंत्रण हो जाएगा। इसके साथ ही विपक्षी पार्टियां भारतीय उपभोक्ताओं के हितों को भी नुकसान पहुंचने की आशंका जता रही थीं।

हालांकि इन आशंकाओं के संबंध में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पहले ही साफ कर चुकी हैं कि बीमा कंपनियों में विदेशी निवेश की सीमा 74 फीसदी करने के बावजूद उसका नियंत्रण भारतीय निदेशकों के पास ही रहेगा। विधेयक पर चर्चा के दौरान वित्त मंत्री ने कहा था कि बीमा क्षेत्र की कंपनियों के ज्यादातर निदेशक और प्रबंधन के अहम पदों पर भारतीयों की ही नियुक्ति की जाएगी। इसके साथ ही कंपनियों के प्रॉफिट का कुछ हिस्सा जनरल रिजर्व के तौर पर रखा जाएगा, ताकि कंपनी को नुकसान होने की स्थिति में भी निवेशकों का पैसा ना डूबे। वित्त मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया था कि विदेश से आकर भारतीय बीमा क्षेत्र में निवेश करने वाले निवेशकों को भारत के कानून को मानना ही होगा।

केंद्र सरकार की ओर से स्पष्ट किया गया है कि इंश्योरेंस अमेंडमेंट बिल 2021 के तहत बीमा कंपनियों में 74 फीसदी विदेशी निवेश का विकल्प दिया गया है। इस निवेश को बाध्यकारी नहीं बनाया गया है। यानी जो भारतीय कंपनियां बिना विदेशी निवेश के या कम विदेशी निवेश से ही काम करना चाहती हैं, वे ऐसा करने के लिए स्वतंत्र हैं। इसमें यह भी साफ किया गया है कि कानून में संशोधन के बावजूद विदेश निवेश ऑटोमैटिक रूट से नहीं होगा। मतलब 74 फीसदी की सीमा तक विदेशी निवेश जुटाने के लिए बीमा कंपनियों को पहले इसके लिए जरूरी अनुमति लेनी होगी।

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