नई दिल्ली। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास नई मौद्रिक नीति को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे हैं। बता दें रिजर्व बैंक के गवर्नर की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति की तीन दिन की बैठक चार अगस्त को शुरू हुई थी। आज समिति बैठक के नतीजों की घोषणा की जा रही है। नीतिगत दर में कटौती और लाेन की ईएमआई पर छूट को लेकर क्या कहने वाले हैं।
आरबीआई ने दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। रेपो रेट 4 फीसद पर बरकरार रखा है। वहीं रिवर्स रेपो रेट 3.35 पर स्थिर रखा है। गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया कि MPC ने सर्वसम्मति से ये फैसला लिया है। उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में रिकवरी शुरू हो गई है। महंगाई दर काबू में है। उन्होंने कहा कि भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। जबकि, दुनियाभर की अर्थव्यवस्था में तेज गिरावट आई है। जनवरी से लेकर जून तक बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की आर्थिक स्थिति बेहद खराब रही।
दूसरी छमाही में ऊंची महंगाई का अनुमान है। खाद्य पदार्थों के दाम बढ़ सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस साल जून में वार्षिक महंगाई दर मार्च के 5.84 फीसद के मुकाबले बढ़कर 6.09 फीसद हो गई. यह RBI के मीडियम टर्म टारगेट से ज्यादा है। RBI का यह टारगेट 2-6 फीसदी है। वैश्विक आर्थिक गतिविधियां कमजोर बनी हुई है, कोविड-19 मामलों में उछाल ने पुनरुद्धार के शुरुआती संकेतों को कमजोर किया है। गवर्नर मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद शक्तिकांत दास ने कहा कि आरबीआई का रुख उदार बना रहेगा।
रिजर्व बैंक अर्थव्यवस्था पर कोरोना वायरस महामारी तथा इसकी रोकथाम के लिए लागू लॉकडाउन के असर को सीमित करने के लिए पिछले कुछ समय से लगातार सक्रियता से कदम उठा रहा है। तेजी से बदलती वृहद आर्थिक परिस्थिति तथा वृद्धि के बिगड़ते परिदृश्य के कारण रिजर्व बैंक की दर निर्धारण समिति को पहले मार्च में और फिर मई में समय से पहले ही बैठक करने की जरूरत पड़ी थी। वहीं, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले सप्ताह कहा था, हमारा ध्यान पुनर्गठन पर है। वित्त मंत्रालय आरबीआई के इस बारे में बातचीत कर रहा है। इसके अलावा केंद्रीय बैंक कर्ज लौटाने को लेकर दी गई मोहलत के संदर्भ में दिशानिर्देश जारी कर सकता है। इसकी अवधि 31 अगस्त को समाप्त होने जा रही है। बैंक अधिकारी इसके दुरूपयोग की आशंका को लेकर इसकी मियाद बढ़ाये जाने का विरोध कर रहे हैं।
वहीं रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन चेता रहे हैं कि बैंकों को मोरटोरियम की सुविधा तुरंत खत्म कर देना चाहिए। उन्होंने आंध्र प्रदेश के माइक्रोफाइनेंस का उदाहरण देते हुए कहा कि अगर बैंक यह सुविधा नहीं बंद करते हैं तो कुछ दिनों में फिर उसी तरह का संकट पैदा हो सकता है। राजन ने कहा, "एक बार अगर आप लोगों को यह कहते हैं कि EMI चुकाने की जरूरत नहीं है तो उनमें दोबारा पेमेंट हैबिट शुरू करना मुश्किल हो जाता है, क्योंकि वो बचत नहीं करते हैं। उनके पास आगे पेमेंट करने के लिए कोई फंड नहीं होता है।"