अब इस नई प्रक्रिया से आयकर ‌विभाग को मिल जाएगी सभी खर्च की जानकारी

Update: 2020-08-15 08:30 GMT

नई दिल्ली। अब सीधे आयकर विभाग के पास पहुंच जाया करेगी सभी खर्च की जानकारी। करदाताओं के फॉर्म 26 एएस में 20 हजार रुपये से बड़े खर्चे की कई जानकारियां सीधे दर्ज हो जाएगी। इसके लिए विभाग अलग अलग माध्यमों से आने वाले लेन देने के आंकड़ों को टैक्स रिटर्न के दौरान मुहैया करा दिए जाएंगे ताकि रिटर्न के दौरान गलती की कोई गुंजाइश न रह जाए।

आयकर विभाग ने बिजली बिल, होटल बिल, हवाई यात्रा और इंश्योरेंस प्रीमियम जैसे खर्जों की एक सीमा तय करने का फैसला किया है। इन सभी खर्चों की जानकारी लोगों के फॉर्म 16 के 26एस के तहत बाकायदा दर्ज हो जाया करेगी। सरकार का मनना है कि इस नई व्यवस्था के ज्यादा से ज्यादा लोग टैक्स के दायरे में आएंगे और ऐसे लोगों की कारगुजारियों पर लगाम लग पाएगी जो खर्चे तो बड़े बड़े करते हैं लेकिन टैक्स नहीं चुकाते हैं। आयकर रिटर्न में रिपोर्टिंग के लिए तय खर्च सीमा के दायरे के मुताबिक 20 हजार रुपये से ज्यादा का होटल बिल या प्रॉपर्टी टैक्स को लाया गया है। साथ ही बिजनेस क्लास में देश के भीतर या फिर विदेश के लिए की गई हवाई यात्रा की भी रिपोर्टिंग होगी। यही नहीं 20,000 से ज्यादा के स्वास्थ्य बीमा और 50,000 से ज्यादा के जीवन बीमा के प्रीमियम की भी जानकारी फॉर्म 26 एएस में होगी।

कर चोरी करना होगा मुश्किल

बड़े लेन देन में 1 लाख से ज्यादा का बिजली बिल, एजुकेशन फीस, ज्लैलरी, पेंटिंग, मार्बल और टीवी, फ्रिज एसी जैसी चीजों की खरीद को भी इसमें शामिल किया गया है। अब तक टैक्स विभाग लोगों के डीमैट खातों, म्युचुअल फंड से मिली जानकारी और बैंक के लेन देन के जरिए ही लोगों की आमदनी और खर्चों का अंदाजा लगाते हुए टैक्स की देनदारी तय करता था। मौजूदा समय में आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस और डाटा एनालिटिक्स के जरिए विभाग ने मनी ट्रेल को पकड़ने के कई नए इंतजाम भी किए हैं।

खर्च में तालमेल नहीं मिलने पर सख्ती

टैक्स विभाग को स्क्रुटनी के दौरान कई ऐसे मामले देखने को मिले थे जिसमें करदाताओं के खर्च और उनके रिटर्न की जानकारी में तालमेल नहीं बैठ रहा था। स्क्रुटनी में पता चला कि कुछ लोगों ने बिजली के बिल ही अपने कुल टैक्स के दायरे की आय से ज्यादा के जमा किए हैं। ऐसे में उन्हें नोटिस जारी किया गया और असली टैक्स की रिकवरी शुरू की गई है। भविष्य में ऐसे मामले कम से कम हों और करदाताओं कों टैक्स अधिकारियों से कम से कम संपर्क करना पड़े इसी लिए नई व्यवस्था बनाने पर जोर दिया जा रहा है।

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