मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक ने वाणिज्यिक बैंकों में शासन संबंधित एक चर्चा पत्र तैयार किया है, जिसमें उसने किसी बैंक प्रमोटर के लिए सीईओ या पूर्णकालिक निदेशक के पद पर रहने की समय सीमा का प्रस्ताव किया है। आरबीआई के पत्र के अनुसार, किसी बैंक का कोई प्रमोटर या मेजर शेयरहोल्डर सीईओ या पूर्णकालिक निदेशक के पद पर अधिकतम 10 साल तक रह सकता है। इस कार्यकाल के बाद उसे पेशेवर प्रबंधन पद को हर हाल में छोड़ना होगा।
केंद्रीय बैंक ने यह भी प्रस्ताव किया कि अच्छे शासन के हित में, कोई प्रबंधन फंक्शनरी, जो प्रमोटर या मेजर शेयरहोल्डर नहीं है, वह किसी बैंक के पूर्णकालिक निदेशक या सीईओ के पद पर 15 साल तक लगातार रह सकता है।
उसके बाद यह व्यक्ति तीन साल की अवधि बीत जाने के बाद ही फिर से पूर्णकालिक निदेशक या सीईओ के पद पर नियुक्ति पाने का पात्र हो सकेगा।
इस तीन साल की अवधि के दौरान वह व्यक्ति किसी भी रूप में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में बैंक से जुड़ा नहीं रहेगा।
चर्चा पत्र में कहा गया है कि बैंकों में अच्छी शासन परंपरा, पेशेवर प्रबंधन की एक मजबूत संस्कृति विकसित करने के लिए और प्रबंधन से मालिकाना को अलग करने के सिद्धांत को अपनाने के लिए यह जरूरी है कि पूर्णकालिक निदेशकों और सीईओ के कार्यकाल सीमित किए जाएं।