मुंबई। रिलायंस इंडस्ट्रीज और सऊदी अरामको के बीच होने वाली 15 अरब डॉलर की प्रस्तावित डील के रद्द होने का असर मंगलवार को भी स्टॉक मार्केट में रिलायंस के शेयरों के कारोबार पर साफ साफ नजर आ रहा है। आज शुरुआती कारोबार में ही रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयरों में गिरावट का रुख बन गया है। इसकी वजह से इसके शेयर 1.15 प्रतिशत तक लुढ़क गए हैं। इसके पहले रिलायंस के शेयरों में सोमवार को भी करीब चार प्रतिशत से अधिक की गिरावट दर्ज की गई थी।
ज्ञातव्य है कि पिछले एक सप्ताह के दौरान रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर में लगभग 10 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की जा चुकी है। शेयर के भाव गिरने की वजह से रिलायंस इंडस्ट्रीज के मार्केट कैप में भी काफी कमी आई है। इसकी वजह से मार्केट कैप के मामले में एचडीएफसी ग्रुप रिलायंस इंडस्ट्रीज से आगे निकल गया है। शेयर के भाव में आई गिरावट के बाद आज की तारीख में रिलायंस ग्रुप का मार्केट कैप घटकर 15.24 लाख करोड़ रुपये हो गया है, जबकि एचडीएफसी ग्रुप का मार्केट कैप आज की तारीख में 15.56 लाख करोड़ रुपये है। पिछले महीने 18 तारीख को रिलायंस का मार्केट कैप 18.50 लाख करोड़ रुपये था। इस तरह पिछले एक महीने पांच दिन के दौरान रिलायंस ग्रुप के मार्केट कैप में 3.26 लाख करोड़ रुपये की गिरावट आ चुकी है।
72 हजार करोड़ का नुकसान -
जहां तक सऊदी अरामको डील के रद्द होने की बात है, तो उसकी वजह से रिलायंस इंडस्ट्रीज के मार्केट कैप में सिर्फ एक ही दिन में 72 हजार करोड़ का नुकसान हुआ है। इस डील के रद्द होने की वजह से शेयर बाजार में बने निगेटिव सेंटीमेंट्स के कारण सोमवार को शेयर बाजार में रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर में जोरदार बिकवाली हुई। ये बिकवाली आज मंगलवार को भी लगातार जारी है। इसकी वजह से रिलायंस का मार्केट कैप घटकर एचडीएफसी के मार्केट कैप से भी नीचे चला गया।
पर्याप्त मात्रा में फंड उपलब्ध -
जानकारों का कहना है कि सऊदी अरामको डील के रद्द होने से रिलायंस इंडस्ट्रीज की बैलेंस शीट पर कोई विशेष असर नहीं होना चाहिए। क्योंकि कंपनी के पास अपनी व्यावसायिक गतिविधि और नये कारोबार का विस्तार करने के लिए पर्याप्त मात्रा में फंड उपलब्ध है। हालांकि डील के रद्द होने के बाद से ही रिलायंस इंडस्ट्रीज के ओ-2-सी (ऑयल टू केमिकल) बिजनेस के वैल्यूएशन को कम करके आंका जा रहा है। पहले इसका वैल्यूएशन 75 अरब डॉलर आंका गया था, लेकिन सऊदी अरामको के साथ होने वाली प्रस्तावित डील के रद्द हो जाने के बाद ओ-2-सी बिजनेस के वैल्यूएशन को घटाकर 70 अरब डॉलर कर दिया गया है।