नई दिल्ली। एक हजार छात्र-छात्राओं को फेलोशिप देने की घोषणा के साथ शुरू हुई प्रधानमंत्री रिसर्च फेलोशिप (पीएमआरएफ) अंतिम चरण में पहुंचते-पहुंचते 135 शोधार्थियों पर सिमट गई है। 1,889 आवेदनों का परीक्षण और साक्षात्कार करने के बाद चयन समिति ने इन उम्मीदवारों को फेलोशिप के योग्य पाया है। और मानव संसाधन विकास मंत्रालय की इस महत्वाकांक्षी फेलोशिप को लेकर छात्र रुचि नहीं दिखा रहे हैं।
पीएमआरएफ के लिए चयनित 135 छात्र-छात्राओं में से 43 ने बेंगलुरु स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी-बेंगलुरु) को अपने शोध के लिए चुना है। वहीं, आईआईटी-बॉम्बे को 24, आईआईटी दिल्ली को 20 और आईआईटी मद्रास को 17 छात्रों ने अपने शोध का केंद्र बनाया है। पीएमआरएफ का समन्वय का काम देख रहे आईआईटी-हैदराबाद में शोध के लिए मात्र एक छात्र का चयन हुआ है। चयनित छात्रों को अब उनके संस्थानों से ऑफर लेटर जारी किए जाएंगे। इन छात्रों को पांच वर्षों में अपना शोध पूरा करना होगा। मालूम हो, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बीते फरवरी माह में पीएमआरएफ को मंजूरी दी थी। इसका मकसद देश में विज्ञान और तकनीकी के क्षेत्र में गुणवत्ता पूर्ण शोध को बढ़ावा देना है।
इसके तहत आईआईएससी, आईआईटी, आईआईआईटी, एनआईटी और आईआईएसईआर से विज्ञान एंव प्रौद्योगिकी में बीटेक, एमटेक या एमएससी करने वाले छात्रों को आईआईटी और आईआईएससी में पीएचडी कार्यक्रम में सीधे प्रवेश के हकदार हैं। पीएमआरएफ में शोधार्थियों को पहले 2 वर्षों के लिए 70,000 रुपये प्रति माह, तीसरे वर्ष के लिए 75,000 रुपये प्रति माह और चौथे-पांचवें वर्ष में 80,000 रुपये प्रति माह का मानदेय मिलेगा। इसके अलावा प्रत्येक शोधार्थी को अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों और सेमिनारों में शोध पत्र प्रस्तुत करने के लिए प्रति वर्ष 2 लाख रुपए का शोध अनुदान भी मिलेगा।
- तब: पीएमआरएफ की घोषणा करते वक्त एचआरडी मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा था कि इसके तहत करीब एक हजार छात्रों को फेलोशिप दी जाएगी।
- अब: मंत्रालय अब कह रहा है कि एक हजार छात्रों का लक्ष्य नहीं था, बल्कि ये अधिकतम फेलोशिप की सीमा थी। इतने आवेदन भी पर्याप्त हैं।