नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद केंद्र सरकार और नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन ने कहा है कि नीट-सुपर स्पेशियलिटी की इस वर्ष होने वाली प्रवेश परीक्षा मौजूदा पैटर्न के आधार पर ही होगी। नए पैटर्न से अगले साल से परीक्षा होगी। केंद्र के इस फैसले पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने संतोष जताया।
कोर्ट ने कहा कि अभी पैटर्न की वैधता को तय करने की जरूरत नहीं है। हालांकि मामला कोर्ट में लंबित रहेगा। पिछले 5 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने नीट-सुपर स्पेशियलिटी की इस वर्ष होने वाली प्रवेश परीक्षा के पैटर्न में अंतिम समय बदलाव करने पर केंद्र सरकार और नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन को फटकार लगाई थी। कोर्ट ने कहा था कि चिकित्सा शिक्षा एक व्यवसाय बन गई है और यह देश में चिकित्सा शिक्षा की त्रासदी है।
निजी और शासकीय में संतुलन बनाना जरूरी -
कोर्ट ने कहा था कि पैटर्न में बदलाव यह सुनिश्चित करने के लिए किया गया था कि निजी मेडिकल कॉलेजों में सीट खाली नहीं रहे। कोर्ट ने केंद्र सरकार की ओर से पेश एएसजी ऐश्वर्या भाटी से कहा था कि आप नवंबर में परीक्षा के लिए अगस्त में बदलाव की घोषणा करते हैं और जब छात्र कोर्ट आते हैं तो आप परीक्षा जनवरी में कर देते हैं। यह देश में चिकित्सा शिक्षा के लिए अच्छी बात नहीं है। कोर्ट ने कहा था कि सरकारी कॉलेजों में कभी भी सीटें खाली नहीं होती हैं। यह हमेशा निजी कॉलेजों में होती है। हमारा अनुमान है कि सरकारी कॉलेजों में सीटें खाली नहीं हैं। ऐसा लग रहा है कि पूरी जल्दबाजी खाली सीटों को भरने के लिए है। कोर्ट ने कहा था कि बेशक निजी संस्थानों ने निवेश किया है, लेकिन हमें संतुलन बनाना होगा।
41 पीजी डॉक्टरों की याचिका -
याचिका 41 पीजी डॉक्टरों ने दायर किया है।याचिका में कहा गया है कि परीक्षा का वर्तमान पैटर्न 2018 से 2020 तक जारी रहा। इस पैटर्न के तहत सुपर स्पेशियलिटी के लिए साठ फीसदी जबकि फीडर कोर्स से चालीस फीसदी अंक थे। लेकिन नए पैटर्न के मुताबिक क्रिटिकल केयर सुपर स्पेशियलिटी के सभी अंक जनरल मेडिसिन से होंगे। इससे दूसरे संकाय के डॉक्टरों को काफी नुकसान होगा क्योंकि नीट-सुपर स्पेशियलिटी की तैयार कर रहे सभी डॉक्टर पुराने पैटर्न के मुताबिक तैयारी कर रहे थे।