स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता पर रिपोर्ट जारी, केरल शीर्ष पर, उत्तर प्रदेश फिसड्डी

Update: 2019-09-30 14:43 GMT

नई दिल्ली। नीति आयोग ने सोमवार को देशभर के राज्यों से मिले आंकड़ों का अध्ययन कर स्कूली शिक्षा पर पहली 'स्कूल एजुकेशन क्वालिटी इंडेक्स' (एसईक्यूआई) रिपोर्ट जारी की। 20 बड़े राज्यों में 76.6 प्रतिशत अंक के साथ केरल प्रथम स्थान पर काबिज है जबकि 36.4 प्रतिशत के साथ उत्तर प्रदेश अंतिम पायदान पर है।

हालांकि, 2015-16 के आधार वर्ष की तुलना में 2016-17 में हरियाणा, असम और उत्तर प्रदेश ने अपने प्रदर्शन में सबसे अधिक सुधार दिखाया। इन राज्यों में आधारभूत ढांचा और सुविधाओं की स्थिति पहले से काफी बेहतर हुई है। स्कूलों तक पहुंच और विद्यार्थियों की बढ़ती संख्या की श्रेणी में तमिलनाडु ने उम्दा प्रदर्शन कर शीर्ष स्थान प्राप्त किया। दूसरी ओर कर्नाटक ने साक्षरता वृद्धि की श्रेणी में अव्वल रहा। जबकि आधारभूत संरचना व शैक्षिक सुविधाएं की श्रेणी में हरियाणा उत्कृष्ट स्थान हासिल किया है।

छोटे राज्यों में, मणिपुर सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शनकर्ता के रूप में उभरा, जबकि केंद्र शासित प्रदेशों की सूची में चंडीगढ़ सबसे ऊपर रहा। पश्चिम बंगाल ने मूल्यांकन प्रक्रिया में भाग लेने से इनकार कर दिया और उसे रैंकिंग में शामिल नहीं किया गया।

बड़े राज्यों की श्रेणी में केरल प्रथम स्थान पर है, राजस्थान दूसरे और कर्नाटक तीसरे स्थान पर हैं जबकि पंजाब, जम्मू और कश्मीर तथा उत्तर प्रदेश क्रमश: अंतिम स्थानों पर हैं। छोटे राज्यों की श्रेणी में मणिपुर, त्रिपुरा और गोवा प्रथम तीन स्थानों पर हैं जबकि सिक्किम, मेघालय और अरुणाचल प्रदेश क्रमश: अंतिम स्थानों पर हैं। वहीं केंद्र शासित प्रदेशों की श्रेणी में चंडीगड़, दादर और नागर हवेली तथा दिल्ली क्रमश प्रथम तीन स्थानों पर हैं जबकि दमन और दीव, अंडमान और निकोबार आइलैंड तथा लक्षद्वीप क्रमश: अंतिम स्थानों पर हैं।

नीति आयोग ने स्कूली शिक्षा क्षेत्र में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रदर्शन का मूल्यांकन करने के लिए विश्व बैंक और अन्य तकनीकी विशेषज्ञों की मदद से यह रिपोर्ट तैयार की है। आयोग ने लर्निंग आउटकम सहित 30 मानकों के आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की है। इसे तैयार करने के लिए 2016-17 के आंकड़ों का उपयोग किया गया है। इसका उद्देश्य राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को उनकी ताकत और कमजोरियों की पहचान कराकर अपेक्षित सुधार या नीतिगत हस्तक्षेप के लिए एक मंच प्रदान करके शिक्षा नीति पर ध्यान केंद्रित करना है। 

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