Jabalpur News: पूजा की इजाजत तो नमाज की क्यों नहीं, जबलपुर के मस्जिद नूर में नमाज के रोक पर हाई कोर्ट

Jabalpur High Court
High Court on Jabalpur Masjid Noor Namaz Restriction : मध्य प्रदेश। जबलपुर की मशहूर मस्जिद नूर में आम मुस्लिम लोगों को नमाज़ पढ़ने से रोके जाने के मामले में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने सख्त रूख अपनाते हुए रक्षा मंत्रालय से सवाल पूछा है। कोर्ट ने पूछा है कि जब मंदिरों और चर्चों में आम जनता को पूजा-पाठ की इजाजत है, तो फिर मस्जिद में नमाज़ क्यों रोकी जा रही है। मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद के लिए सूचीबद्ध है।
चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की खंडपीठ ने कहा, उत्तरदाता ये स्पष्ट करें कि अगर आम नागरिकों को मंदिर और चर्च में पूजा की अनुमति है, तो फिर मस्जिद नूर में नमाज पर रोक क्यों लगाई गई है? ये मस्जिद CDA (कंट्रोलर ऑफ डिफेंस अकाउंट), रिड्ज रोड, जबलपुर की रक्षा भूमि के पीछे स्थित है।
याचिका में क्या ?
इस जनहित याचिका को मस्जिद नूर प्रबंधन समिति के सचिव के ज़रिए दाखिल किया गया है। याचिका में बताया गया कि स्टेशन कमांडर (उत्तरदाता नंबर 4) ने याचिकाकर्ता और अन्य मुस्लिम नागरिकों को मस्जिद में नमाज़ पढ़ने से मना कर दिया। मस्जिद नूर 1918 से आम नागरिकों और सेना के जवानों द्वारा नमाज़ के लिए इस्तेमाल की जा रही है। यह मस्जिद वक्फ अधिनियम 1995 की धारा 3 के तहत ‘वक्फ बाय यूज’ के रूप में मान्य है।
याचिकाकर्ता वकील ने बताया कि अब तक कभी भी किसी अधिकारी ने नमाज पर रोक नहीं लगाई थी, लेकिन हाल ही में स्टेशन कमांडर द्वारा मौखिक रूप से इबादत पर पाबंदी लगा दी गई, जो कि धार्मिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का सीधा उल्लंघन है।
मामले में शिकायत मध्य भारत क्षेत्र के जनरल ऑफिसर कमांडिंग और डिफेंस एस्टेट ऑफिसर को भी दी गई थी, लेकिन जब याचिकाकर्ता स्टेशन कमांडर के ऑफिस में प्रतिलिपि देने गए तो उन्होंने उसे लेने से इनकार कर दिया।