इसरो का SpaDeX मिशन हुआ लॉन्च: 7 जनवरी को अंतरिक्ष में स्पेसक्राफ्ट जोड़कर बनेगा चौथा देश

Update: 2024-12-30 18:13 GMT

SpaDeX Launch: आज, 30 दिसंबर को इसरो ने श्रीहरिकोटा से रात 10 बजे SpaDeX (स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट) मिशन लॉन्च किया। PSLV-C60 रॉकेट के जरिए दो स्पेसक्राफ्ट्स को पृथ्वी से 470 किमी की ऊंचाई पर भेजा गया। अब, 7 जनवरी 2025 को, इन दो स्पेसक्राफ्ट्स को अंतरिक्ष में जोड़ने की प्रक्रिया शुरू होगी, जो बुलेट की स्पीड से दस गुना तेज गति से यात्रा कर रहे हैं। यदि यह मिशन सफल होता है, तो भारत रूस, अमेरिका और चीन के बाद चौथा देश बनेगा, जो यह महत्वपूर्ण तकनीकी उपलब्धि हासिल करेगा।

भारत का चंद्रयान-4 मिशन 2028 में लॉन्च होने की संभावना है, और इसकी सफलता का दारोमदार स्पेडेक्स मिशन पर है। इस मिशन में चंद्रमा की मिट्टी के सैंपल पृथ्वी पर लाए जाएंगे, जो इसरो के लिए एक नई मील का पत्थर साबित होगा।

स्पेडेक्स मिशन की प्रक्रिया: PSLV रॉकेट से लॉन्च

इसरो का स्पेडेक्स मिशन दो छोटे स्पेसक्राफ्ट्स, "टारगेट" और "चेजर" को लेकर लॉन्च किया गया है। इन्हें PSLV-C60 रॉकेट द्वारा 470 किमी की ऊंचाई पर अलग-अलग कक्षाओं में भेजा गया। डिप्लॉयमेंट के बाद, इन स्पेसक्राफ्ट्स की गति करीब 28,800 किलोमीटर प्रति घंटे तक पहुंच चुकी है, जो कि एक सामान्य एयरक्राफ्ट से 36 गुना और बुलेट की गति से 10 गुना तेज है।

अब, दोनों स्पेसक्राफ्ट्स "फार-रेंज रेंडेजवस फेज" की ओर बढ़ेंगे, जहां उनका सीधा संपर्क एक-दूसरे से नहीं होगा। इस फेज में, दोनों को जमीन से नियंत्रित किया जाएगा। जैसे-जैसे ये स्पेसक्राफ्ट्स एक-दूसरे के करीब आते जाएंगे, उन्हें विभिन्न तकनीकों से ट्रैक किया जाएगा:

5 किमी से 0.25 किमी के बीच लेजर रेंज फाइंडर का उपयोग किया जाएगा।

300 मीटर से 1 मीटर की दूरी पर डॉकिंग कैमरा काम करेगा।

1 मीटर से 0 मीटर तक की दूरी पर विजुअल कैमरा सक्रिय रहेगा।

डॉकिंग सफल होने के बाद, दोनों स्पेसक्राफ्ट्स के बीच बिजली का आदान-प्रदान (पावर ट्रांसफर) किया जाएगा। फिर, ये अनडॉक होकर अपने-अपने पेलोड के ऑपरेशन शुरू करेंगे। इनसे प्राप्त होने वाला डेटा अगले दो साल तक अत्यधिक मूल्यवान रहेगा।

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