ढाका। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी बांग्लादेश यात्रा के दूसरे दिन ओराकांडी में मतुआ समुदाय के प्रतिनिधियों से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत सरकार की ओर से यहां एक प्राथमिक स्कूल खोला जाएगा और छात्राओं के लिए माध्यमिक विद्यालय को अपग्रेड किया जाएगा।
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शनिवार को मतुआ समुदाय के मंदिर गए और पूजा अर्चना की। इस अवसर पर उन्होंने मतुआ समुदाय को संबोधित भी किया। मोदी ने कहा, "आज श्री श्री हरिचंद ठाकुर जी की कृपा से मुझे ओराकांडी ठाकुरबाड़ी की इस पुण्यभूमि को प्रणाम करने का सौभाग्य मिला है। मैं श्री श्री हरिचंद ठाकुर जी, श्री श्री गुरुचंद ठाकुर जी के चरणों में शीश झुकाकर नमन करता हूं।"
तीर्थ यात्रा के लिए बढ़ाएंगे प्रयास -
अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि मतुआ संप्रदाय के हमारे भाई-बहन श्री हरिचंद ठाकुर की जन्म-जयंती के शुभ अवसर पर हर साल 'बारोनी श्नान उत्सव' मनाते हैं। भारत से बड़ी संख्या में श्रद्धालु इस उत्सव में शामिल होने के लिए ओराकांडी आते हैं। भारत के मेरे भाई-बहनों के लिए यह तीर्थ यात्रा अधिक आसान बने, इसके लिए भारत सरकार की तरफ से प्रयास बढ़ाए जाएंगे। ठाकुरनगर में मतुआ संप्रदाय के गौरवशाली इतिहास को प्रतिबिंबित करते भव्य आयोजनों और विभिन्न कार्यों के लिए भी हम संकल्पबद्ध हैं।
ईश्वरीय प्रेम का संदेश -
उल्लेखनीय है कि ओरकांडी में ही मतुआ समुदाय के संस्थापक हरिचंद ठाकुर का जन्म हुआ था। अपने वक्तव्य में हरिचंद ठाकुर के जीवन को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि श्री हरिचंद देव के जीवन ने हमको ईश्वरीय प्रेम का संदेश दिया। हमें हमारे कर्तव्यों का बोध कराया। उन्होंने हमें यह बताया कि उत्पीड़न और दुख के खिलाफ संघर्ष भी साधना है। श्री श्री हरिचंद देव जी की शिक्षाओं को जन-जन तक पहुंचाने में, दलित-पीड़ित समाज को एक करने में बहुत बड़ी भूमिका उनके उत्तराधिकारी श्री गुरुचॉन्द ठाकुर जी की भी है। श्री गुरुचंद जी ने हमें 'भक्ति, क्रिया और ज्ञान' का सूत्र दिया था। दोनों ही देश दुनिया में अस्थिरता, आतंक और अशांति की जगह स्थिरता, प्रेम और शांति चाहते हैं। यही मूल्य, यही शिक्षा श्री श्री हरिचंद देव जी ने हमें दी थी।
अपनी ओराकांडी यात्रा के संदर्भ में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वे इस दिन की प्रतीक्षा कई वर्षों से कर रहे थे। 2015 में जब वह बतौर प्रधानमंत्री पहली बार बांग्लादेश आए थे, तभी यहां आने की इच्छा प्रकट की थी। उनकी वह इच्छा आज पूरी हुई है।उन्होंने कहा कि किसने सोचा था कि भारत का प्रधानमंत्री कभी ओराकांडी आएगा। मैं आज वैसा ही महसूस कर रहा हूं, जो भारत में रहने वाले मतुआ संप्रदाय के मेरे हजारों-लाखों भाई-बहन ओराकांडी आकर महसूस करते हैं।