अमेरिकी संसद में पेश हुआ तालिबान को आतंकी संगठन का दर्जा देने का प्रस्ताव
मान्यता देने वाले देशों पर प्रतिबंध लगाने की मांग
काबुल। अफगानिस्तान की सत्ता पर बंदूक के दम पर काबिज होने वाले तालिबान के लिए अमेरिका और अमेरिकी सांसदों की तरफ से राहत देने के आसार कम लगते हैं। तालिबान को आतंकी संगठन घोषित करने के लिए अमेरिका की विपक्षी रिपब्लिकन पार्टी के कई शीर्ष सांसदों ने मांग की है। उनके अनुसार तालिबान ने जिनको कैबिनेट मंत्री बनाया है उनमें से कई मंत्रियों को संयुक्त राष्ट्र ने अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा बताते हुए पहले से आतंकी घोषित कर रखा है। इस संबंध में सांसदों ने इसके लिए अमेरिकी संसद में एक बिल पेश किया है। इसमें तालिबान सरकार को मान्यता देने वाले देशों पर प्रतिबंध लगाने की भी मांग की गई है।
संसद के ऊपरी सदन सीनेट के सदस्यों मार्को रुबियो, टामी ट्यबविले, मूर कैपिटो, डैन सुलिवन, थाम टिलिस और सिंथिला लुमिस ने तालिबान पर प्रतिबंध लगाने और मान्यता नहीं देने संबंधी यह बिल पेश किया है। अगर इस विधेयक पर संसद की मुहर लग जाती है तो अमेरिकी विदेश मंत्री को तालिबान सरकार को अवैध करार देने के साथ तालिबान की मदद करने वाले विदेशी लोगों पर प्रतिबंध भी लगाना होगा। अमेरिकी सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि कर दाताओं के पैसे अफगानिस्तान में आतंकी संगठनों तक पहुंच नहीं पाएं।
सीधा खतरा -
मार्को रुबियो ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि तालिबान नियंत्रित अफगानिस्तान से हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा हितों के साथ ही हमारे सहयोगियों और पश्चिम व मध्य एशियाई साझेदारों को भी सीधा खतरा पैदा हो गया है।' उन्होंने कहा, 'बाइडन प्रशासन के सैन्य वापसी के नाशकारी फैसले से अफगानिस्तान आतंकियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह बन गया है, जो अमेरिका से नफरत करते हैं।' चार सीनेटरों ने विदेश मंत्री टोनी ब्लिंकन को पत्र लिखकर तालिबान को आतंकी संगठन घोषित करने की मांग की है।
अत्याचार बढ़ा -
अफगानिस्तान की सत्ता में तालिबान के आने के बाद से लोगों पर अत्याचार बढ़ गया है। अफगानिस्तान के दक्षिणी शहर कंधार में हजारों लोगों को अपने घरों को खाली करने का फरमान जारी किया गया है। इससे नाराज लोगों ने सड़कों पर उतरकर तालिबान के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।