शराब घोटाला: EOW स्पेशल कोर्ट में पेश हुए कवासी लखमा, अधिकारियों ने की थी प्रोडक्शन वारंट की मांग

Update: 2025-04-02 10:41 GMT
EOW स्पेशल कोर्ट में पेश हुए कवासी लखमा, अधिकारियों ने की थी प्रोडक्शन वारंट की मांग
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रायपुर। छत्तीसगढ़ के चर्चित 2,161 करोड़ रुपये के शराब घोटाले में जेल में बंद पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा को आज, 2 अप्रैल 2025 को आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) की विशेष कोर्ट में पेश किया गया। EOW ने इस मामले की जांच को आगे बढ़ाने के लिए लखमा के प्रोडक्शन वारंट की मांग की थी, जिसके लिए मंगलवार 1 अप्रैल को आवेदन दाखिल किया गया था। विशेष कोर्ट में दोपहर बाद इस मामले की सुनवाई शुरू होगी।

EOW के वकील मिथलेश वर्मा ने बताया कि शराब घोटाले की जांच के सिलसिले में कवासी लखमा के प्रोडक्शन वारंट के लिए आवेदन दाखिल किया गया था। इसके बाद आज लखमा को विशेष कोर्ट में पेश किया गया। वर्मा ने कहा कि इस सुनवाई में EOW लखमा से पूछताछ के लिए रिमांड की मांग कर सकती है, ताकि घोटाले से जुड़े अन्य लोगों और तथ्यों का खुलासा हो सके।

इससे पहले कोर्ट ने EOW को 19 और 20 मार्च को लखमा से पूछताछ की अनुमति दी थी, जिसके बाद आशंका जताई जा रही है कि EOW जल्द ही अन्य संदिग्धों को भी पूछताछ के लिए तलब कर सकती है।

कब हुई थी लखमा की गिरफ्तारी

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 15 जनवरी 2025 को कवासी लखमा को इस शराब घोटाले के मामले में गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी से पहले ED ने लखमा से दो बार रायपुर स्थित अपने कार्यालय में पूछताछ की थी। गिरफ्तारी के बाद ED ने लखमा को 7 दिन की कस्टोडियल रिमांड पर लिया था, जिसके बाद 21 जनवरी से 4 फरवरी तक उन्हें 14 दिन की न्यायिक रिमांड पर भेजा गया।

इसके बाद उनकी रिमांड को कई बार बढ़ाया गया, जिसमें 18 फरवरी तक की अवधि भी शामिल है। एक सुनवाई के दौरान जेल में पर्याप्त सुरक्षा बल न होने के कारण लखमा की पेशी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई थी।

बघेल सरकार के समय हुआ था शराब घोटाला

शराब घोटाला 2019 से 2022 के बीच का है, जब भूपेश बघेल की सरकार सत्ता में थी। उस समय कवासी लखमा राज्य के आबकारी मंत्री थे। आयकर विभाग ने 11 मई 2022 को दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में एक याचिका दायर की थी, जिसमें तत्कालीन IAS अनिल टुटेजा, उनके बेटे यश टुटेजा और CM सचिवालय की तत्कालीन उपसचिव सौम्या चौरसिया के खिलाफ रिश्वत और अवैध दलाली का आरोप लगाया गया था। याचिका में कहा गया था कि रायपुर के तत्कालीन महापौर एजाज ढेबर के भाई अनवर ढेबर ने एक आपराधिक सिंडिकेट के जरिए अवैध वसूली की।

इसके आधार पर ED ने 18 नवंबर 2022 को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत मामला दर्ज किया। ED ने अपनी जांच में पाया कि 2017 में आबकारी नीति में संशोधन कर छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड (CSMCL) के जरिए शराब बिक्री का प्रावधान किया गया था लेकिन 2019 के बाद अनवर ढेबर ने अरुणपति त्रिपाठी को CSMCL का MD नियुक्त करवाया और एक सिंडिकेट बनाकर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया। इस सिंडिकेट में अधिकारियों, कारोबारियों और राजनीतिक रसूख वाले लोग शामिल थे, जिसके चलते 2,161 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ।

ED की चार्जशीट

13 मार्च 2025 को ED ने विशेष कोर्ट में 3,841 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की, जिसमें कवासी लखमा समेत 21 लोगों को आरोपी बनाया गया। चार्जशीट में दावा किया गया कि लखमा को इस घोटाले की पूरी जानकारी थी और आबकारी नीति में बदलाव में उनकी अहम भूमिका थी। ED के अनुसार, लखमा को हर महीने 1.5 से 2 करोड़ रुपये कमीशन के तौर पर मिलते थे, जो तीन साल (36 महीने) में कुल 72 करोड़ रुपये तक पहुंच गया।

यह राशि उनके बेटे हरीश लखमा के घर और सुकमा में कांग्रेस भवन के निर्माण में खर्च की गई। चार्जशीट में यह भी बताया गया कि छत्तीसगढ़ डिस्टलरी को 48%, भाटिया वाइन मर्चेंट को 28%, और वेलकम डिस्टलरी को 24% दुकानों में शराब आपूर्ति का काम दिया गया था, जिसके जरिए अवैध वसूली की गई।

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