मोदी 3.0 के 100 दिन: गठबंधन की सरकार और वही पुराने तेवर, विपक्ष मजबूत लेकिन बड़े निर्णय पर नहीं होगा असर...

Update: 2024-09-17 01:30 GMT

मोदी 3.0 के 100 दिन

मोदी 3.0 के 100 दिन : नई दिल्ली। 4 जून 2024, ECI द्वारा लोकसभा चुनाव में हुए मतदान के परिणाम घोषित किए जा रहे थे। इधर कांग्रेस 99 पर अटकी थी और भाजपा 240...ऐसा पहली बार हुआ था जब जीतने वाली पार्टी तो जश्न मना ही रही थी...हारने वाला दल भी मिठाई बांट रहा था। मसलन जिस पार्टी को सरकार बनाने का मौका मिला उसे मलाल था 400 लोकसभा सीट का लक्ष्य अधूरे रह जाने का। भाजपा को सरकार बनाने का मौका मिला लेकिन इसके लिए टीडीपी और जेडीयू के साथ गठबंधन करना पड़ा। खैर दोनों ही पार्टियों के साथ गठबंधन का ऐलान चुनाव से पहले ही कर दिया था लेकिन इस बार बीजेपी कमजोर हो गई थी। कई केंद्रीय मंत्री अपनी सीट हार गए थे। ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा था कि, मोदी 3.0, पिछले दस साल के मुकाबले सबसे कमजोर साबित होगी लेकिन चौंकाने वाली बात है कि, 100 दिन के कार्यकाल में नरेंद्र मोदी की सरकार ने यह साबित कर दिया कि न तो गठबंधन कमजोर है न सरकार। विपक्ष के मजबूत होने के बावजूद केंद्र सरकार बड़े निर्णय लेने को तैयार है भले ही राह कांटों भरी क्यों न हो।

आज (17 सितंबर) मोदी 3.0 के 100 दिन पूरे हो चुके हैं। इस सरकार ने सौ दिन में बता दिया कि, फोकस गठबंधन को मजबूत रखना तो है ही साथ ही किसान और महिलाओं पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा। आगे सरकार की रणनीति क्या होगी ? सरकार क्या बड़े निर्णय लेने का प्लान बना रही है यह जानने से पहले एक नजर 100 दिन के हिसाब किताब पर डाल लेते हैं। भाजपा ने लोकसभा चुनाव में उतरने से पहले ही अगले कार्यकाल के 100 दिन का खाका तैयार कर लिया था।

 

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव से पहले ही रणनीति तैयार कर ली थी। इसके तहत सबसे अहम फोकस कृषि मंत्रालय और गृह मंत्रालय पर था। देश भर के किसानों की नाराजगी दूर करने और आय दोगुनी करने के प्रयास में उन योजनाओं को प्राथमिकता दी जानी थी जिससे यह साबित हो सके कि, सरकार किसानों की हितैषी है। वहीं गृह मंत्रालय पर जिम्मेदारी थी जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव की।

पॉइंट्स में समझिए क्या था 100 दिन का प्लान :

किसानों को राहत पहुंचाने के लिए बेहतर इनपुट तक पहुंच के साथ - साथ खेती को फायदे का बिजेनेस बनाना। 100 दिन के एजेंडे के तहत कृषि उत्पादों में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना और निर्यात गुणवत्ता को बढ़ाना अहम लक्ष्य था।

स्वास्थ्य मंत्रालय के एजेंडे में 70 वर्ष से अधिक आयु के सभी नागरिकों को आयुष्मान भारत कवरेज प्रदान करना और यू-विन पोर्टल के माध्यम से नियमित टीकाकरण को डिजिटल बनाना शामिल था।

गृह मंत्रालय का लक्ष्य जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव 30 सितंबर तक पूरा करना था, जो कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित समय सीमा के अनुरूप था।

इसके अलावा कॉमर्स मिनिस्ट्री का फोकस भारत के हित वाले फ्री ट्रेड एग्रीमेंट, बायलेट्रल इन्वेस्टमेंट और ई - कॉमर्स हब को बढ़ावा देना था।

इसी तरह मिनिस्ट्री ऑफ़ एविएशन का उद्देश्य बेहतर एयर कनेक्टिविटी और ईज ऑफ फ्लाइंग एक्सपीरियंस को यात्रियों के लिए सुगम बनाना था।

इसके अलावा इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट, रोजगार को बढ़ावा और महिलाओं को केंद्र में रखकर योजनाओं का क्रियान्वयन करना सरकार का फोकस था।

 

 

100 दिन में नरेंद्र मोदी की सरकार ने किए ये काम -

इंफ्रास्ट्रक्चर पर 3 लाख करोड़ रुपए खर्च :

मोदी 3.0 सरकार के पहले 100 दिनों में 3 लाख करोड़ रुपए की बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। इसमें महाराष्ट्र में 76,200 करोड़ रुपए की लागत से वधावन बंदरगाह, 49,000 करोड़ रुपए की लागत से 25,000 असंबद्ध गांवों को जोड़ने के लिए पीएम ग्राम सड़क योजना का अगला चरण, 50,600 करोड़ रुपए की लागत से सड़कें और हाई-स्पीड रोड कॉरिडोर, नई रेलवे लाइनें, तीन नए हवाई अड्डों का विकास और बेंगलुरु, पुणे और ठाणे में तीन मेट्रो परियोजनाएं शामिल हैं।

रोजगार और लखपति दीदी पर फोकस :

लोकसभा चुनाव प्रचार में बेरोजगारी वो मुद्दा जिस पर कांग्रेस ने सबसे ज्यादा भाजपा को घेरा। 100 दिन में ही इंफ्रास्ट्रक्चर पर भारी इन्वेस्टमेंट करके यह सरकार लाखों रोजगार पैदा करना चाहती थी। बजट में युवाओं के लिए 'इंटर्नशिप प्रोग्राम' रोजगार सृजन के लिए एक अहम कदम था। इसके अलावा 'लखपति दीदी' पर भी सरकार ने विशेष ध्यान दिया। 100 दिनों में 11 लाख महिलाओं को लखपति दीदी प्रमाण पत्र दिए गए।

किसानों के लिए किया यह काम :

किसान सरकार की प्रायोरिटी लिस्ट में कितने ऊपर हैं इसका अंदाजा इस बात से लगाइए कि, पीएम मोदी जब तीसरी बार प्रधानमंत्री चुने जाने के बाद पहली बार कार्यालय पहुंचे तो सबसे पहले उन्होंने पीएम किसान निधि रिलीज करने वाली फाइल पर साइन किया। इसके बाद 109 हॉर्टिकल्चर क्रॉप को किसानों के लिए रिलीज किया गया। सरकार ने किसानों के लिए कोई नई योजना तो शुरू नहीं की लेकिन पहले से चली आ रही योजनाओं में किसानों तक जल्द से जल्द अधिक लाभ पहुंचाए जाने का प्रयास इन 100 दिनों में किया गया है।

जम्मू - कश्मीर में विधानसभा चुनाव :

जम्मू - कश्मीर में 10 साल बाद विधानसभा चुनाव कराए जा रहे हैं। गृह मंत्रालय का टारगेट था कि, 30 सितंबर तक चुनाव करा लिए जाएं इसी के तहत योजना बनाई गई। सुरक्षा स्थिति को ध्यान में रखते हुए यहां तीन चरण में मतदान कराया जा रहा है।

ओल्ड पेंशन स्कीम का निकाला हल :

ओल्ड पेंशन स्कीम और न्यू पेंशन स्कीम सरकार के एजेंडा लिस्ट में शामिल नहीं थे लेकिन सहयोगी दलों का सुझाव और मतदान परिणामों के चलते यह निर्णय लिया गया। दोनों स्कीम की खामियों को दूर करने के लिए यूनिफाइड पेंशन स्कीम लाइ गई। इसके तहत न्यू पेंशन स्कीम की खामियों को दूर किया गया।

इसके अलावा तय एजेंडे के तहत 70 साल से अधिक आयु वर्ग के लोगों को अयुष्मान भारत योजना के तहत लाभ देने का निर्णय केंद्र ने 100 दिनों के अंदर किया गया।

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 3 करोड़ घरों के लिए स्वीकृति दी गई है, जिसमें शहरी क्षेत्र में 1 करोड़ और ग्रामीण क्षेत्र में 2 करोड़ घर शामिल हैं।

पीएम सूर्य घर मुफ़्त बिजली योजना ने सौर ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए 2.5 लाख से ज़्यादा घरों में सौर ऊर्जा प्रणाली लगाने की सुविधा प्रदान की है।

मुद्रा ऋण की सीमा 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये कर दी गई है, जिससे छोटे व्यापारियों को बिना किसी जमानत के ऋण मिल सकेगा।

स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए 2012 से लागू एंजल टैक्स को समाप्त कर दिया गया।

चिकित्सा शिक्षा को मज़बूत करने के लिए, विदेशी संस्थानों पर निर्भरता कम करने के लिए 75,000 नई मेडिकल सीटें जोड़ी गई हैं।

अब जानिए सरकार का आगामी प्लान :

मोदी सरकार 3.0 के 100 में दिन काफी हद तक तय एजेंडा पर काम किया गया। अब सरकार का फोकस बड़े निर्णय पर है। लाल किले की प्राचीर से जनता को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने स्वयं इन विषयों पर चर्चा की थी।

वन नेशन वन इलेक्शन :

एक देश, एक चुनाव मोदी 3.0 के बड़े लक्ष्य में से एक है। इसके लिए पिछले कार्यकाल में ही पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में समिति की सिफारिश राष्ट्रपति को सौंप दी गई थी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार नरेंद्र मोदी की सरकार इसी कार्यकाल में वन नेशन वन इलेक्शन को लागू करना चाहती है।

यूनिफॉर्म सिविल कोड :

वन नेशन - वन इलेक्शन के साथ ही सरकार यूनिफॉर्म सिविल कोड पर भी फोकस कर रही है। लाल किले से पीएम मोदी ने यूनिफार्म सिविल कोड पर बात करते हुए कहा था कि, सेकुलर सिविल कोड देश में लागू किया जाना चाहिए। दोनों ही मुद्दे भाजपा के मेनिफेस्टो में शामिल थे। संभवतः इस कार्यकाल में दोनों मुद्दों पर मोदी 3.0 कोई निर्णय ले।

 

गठबंधन की सरकार कमजोर या मजबूत:

जब सरकार बनाने के लिए भाजपा अपने सहयोगी दलों के साथ चर्चा कर रही थी तब अंतरखानों में यह बात चिंगारी की तरह फैल गई थी कि, गठबंधन की सरकार काफी कमजोर साबित होगी। बड़े निर्णय नहीं लिए जाएंगे और ज्यादा फोकस गठबंधन में शामिल क्षेत्रीय दलों को खुश करने पर किया जाएगा। 100 दिन में यह साबित कर दिया गया कि, गठबंधन की सरकार होने के बावजूद सरकार मजबूत निर्णय लेने से पीछे नहीं हटेगी। हालांकि, बजट में बिहार और आंध्रप्रदेश के लिए अतिरिक्त राशि का प्रावधान किया गया था। इस पर सरकार को घेरते हुए विपक्ष ने लोकसभा और राज्यसभा में यह मुद्दा भी उठाया था।

मजबूत विपक्ष और बैकफुट पर सरकार :

इस पूरी कहानी का सबसे अहम पड़ाव है विपक्ष का दस साल बाद मजबूत होना। बीते दस साल विपक्ष के लिए कुछ अच्छे नहीं थे। हालांकि अब भी विपक्षी दल बहुत अच्छी स्थिति में नहीं है। कांग्रेस को बहुत अधिक प्रयास के बाद भी 99 सीट मिली लेकिन अमेठी जीत लेने के बाद कांग्रेस का कॉन्फिडेंस बूस्ट हुआ। इधर उत्तरप्रदेश में सपा ने झंडे गाड़ दिए। फ़ैजाबाद सीट (अयोध्या) समेत यूपी की अधिकतर सीट जीतकर सपा एक मजबूत विपक्षी दल साबित हुई। दोनों पार्टियों के गठजोड़ ने लोकसभा में मजबूत और एकजुट विपक्ष की तस्वीर पेश की। सदन में जब सरकार से सवाल पूछे गए तो कई मौकों पर सरकार बैकफुट पर भी नजर आई।

यहां सरकार को करना होगा फोकस :

सरकार के गठन के बाद नीट पेपर लीक वो मुद्दा था जिस पर केंद्र सरकार बैकफुट नजर आई। बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र, गुजरात समेत उत्तरप्रदेश में पेपर लीक का सिंडिकेट सामने आया। छात्रों ने सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया। इसके बाद NTA पर कई सवाल खड़े किये गए। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने जब मामले की सुनवाई की तो पाया गया कि, पेपर लीक के कोई व्यापक साक्ष्य नहीं मिले लेकिन पूरे मामले में सरकार की किरकिरी जरूर हुई। आए दिन बढ़ते ट्रेन एक्सीडेंट भी वो मुद्दा है जिसे लेकर केंद्र सरकार थोड़ी असहज हो सकती है।

चुनौतियां है...पर मोदी है तो मुमकिन है :

मोदी है तो मुमकिन है - यह नारा भारत की जनता पिछले दस साल से सुनती आ रही है अब भाजपा के लिए यह साबित करना सबसे बड़ी चुनौती है। पिछले दस साल में बड़े निर्णय लिए गए। इनमें जम्मू - कश्मीर से धारा 370 को हटाना और ट्रिपल तलाक ख़त्म करने जैसे निर्णय शामिल थे। अब फोकस वक्फ बिल संशोधन बिल को पास कराना, यूनिफॉर्म सिविल कोड और वन नेशन वन इलेक्शन पर है। इसके अलावा भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाना और साथ ही साथ अधिक से अधिक रोजगार सृजिन करना अहम मुद्दा है। इस समय विपक्ष जाति जनगणना के मुद्दे को लेकर आक्रामक है और भाजपा के सहयोगी दल भी जाति जनगणना के प्रति सहानुभूति रखते हैं। अब गठबंधन में शामिल सहयोगी दलों की भावनाओं का सम्मान करना और बेहतर संतुलन बैठाकर अपने तय एजेंडे पर काम करते हुए आगे बढ़ना ही मोदी 3.0 की सबसे बड़ी चुनौती है।

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