चीन से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार, राफेल देख पीछे हटा : वायुसेना प्रमुख
बेंगलुरु। भारत-चीन सीमा की स्थिति के बारे में कहा है कि बातचीत चल रही है। सभी इस बात पर निर्भर करते हैं कि वार्ता कैसे चलती है। उस पर बहुत ध्यान दिया जा रहा है और अगर डी-एस्केलेशन और विघटन शुरू होता है तो यह अच्छा होगा। इसके बावजूद अगर कुछ नई स्थिति बन रही है तो हम उसके लिए भी पूरी तरह से तैयार हैं। चीन ने जैसे ही भारतीय क्षेत्र के करीब जे-20 फाइटर जेट्स को तैनात किया था, वैसे ही भारत ने भी फ्रांस से आए राफेल जेट विमानों की तैनाती कर दी थी।वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया ने एयरो इंडिया प्रदर्शनी पर ये बात कहीं।
उन्होंने कहा कि चीन के साथ तनाव अभी भी बरकरार है। पूर्वी लद्दाख के करीबी क्षेत्रों में चीन ने अपने जे-20 लड़ाकू विमान तैनात किये थे लेकिन जब हम इस क्षेत्र में राफेल लेकर आए तो वह पीछे चले गए। यह पूछे जाने पर कि क्या राफेल विमान की सीमा पर तैनाती ने चीनी शिविर में चिंता पैदा की है तो उन्होंने कहा कि बेशक, भारत की ओर से एलएसी पर राफेल की तैनाती के बाद से चीनी कैंप में खलबली है। एयर चीफ मार्शल ने कहा कि चीन की तरफ से हवाई तैनाती में बदलाव से कुछ कमियां आई हैं। उन्होंने अपनी वायु रक्षा क्षमता को मजबूत किया है जिसके विपरीत भारत ने अपनी तैनाती कम नहीं की है बल्कि तैनाती को और मजबूत किया जा रहा है।
उन्होंने दो दिवसीय कॉन्क्लेव में अपने उद्घाटन भाषण में बताया कि कोविड-19 महामारी के बीच बढ़ते अविश्वास और भू-राजनीतिक तनाव ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर परिपक्व और संतुलित सहयोग की जरूरत को मज़बूत किया है। इस पृष्ठभूमि में सहयोग, साझेदारी एवं सह-अस्तित्व के सिद्धांतों के आधार पर आपसी समझ और मौजूदा सुरक्षा ढांचे को मजबूत करने की जरूरत है। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारतीय वायुसेना ने शांति और स्थिरता बनाए रखने में साझा मूल्यों और रुचि को साझा करने वाले बड़ी संख्या में राष्ट्रों के साथ कई द्विपक्षीय और बहुपक्षीय अभ्यासों के माध्यम से मैत्री बढ़ाई है। उन्होंने कहा कि ऐसे सम्मेलन वर्तमान चुनौतियों और उभरती सुरक्षा चुनौतियों पर चर्चा करने और वायु सेनाओं के बीच सहयोग बढ़ाने का अवसर प्रदान करते हैं।