नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग सो झील के दक्षिणी किनारे पर हालात बेहद गंभीर होते जा रहे हैं। चीन के पश्चिमी थिएटर कमांड ने आरोप लगाया है कि 7 सितंबर को उसके सैनिक बातचीत के लिए गए थे और वहां उन पर भारतीय सैनिकों ने गोलीबारी की। चीन का आरोप अगर सच है तो करीब 45 साल बाद यह पहला मौका है जब दोनों ही देशों के बीच गोली चली है। उधर, भारतीय सूत्रों का कहना है कि चीन के सैनिक मुखपारी चोटी पर कब्जा करने के लिए गलवान जैसी हिंसा दोहराना चाहते थे और भारतीय सैनिकों को बचाव में हवा में गोली चलानी पड़ी।
एलएसी के पास दोनों देशों के सैनिकों के बीच लंबे समय से तनाव बना हुआ है। दोनों ओर से सैन्य तथा कूटनीतिक स्तर पर स्थिति को सामान्य करने की कोशिश की जा रही है लेकिन पिछले एक हफ्ते से दोनों देशों के बीच तनाव ज्यादा बढ़ा है। खासकर जबसे भारत ने पिछले सप्ताह पैगॉन्ग झील के दक्षिणी किनारे पर रणनीतिक चोटियों और दर्रों पर नियंत्रण करने के बाद अपना दबदबा बना लिया है तबसे दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने फायरिंग रेंज में तैनात हैं। भारतीय जवानों की तैनाती और जवाबी कार्रवाई से चीन की सेना परेशान है. तनावपूर्ण माहौल के बीच दोनों देशों के बीच कई दौर की बातचीत भी हो चुकी है।
चीनी प्रवक्ता ने कहा कि चीनी सीमा रक्षा सैनिकों को स्थिति को स्थिर करने के लिए जवाबी कार्रवाई करने के लिए मजबूर किया गया था। चीनी पीएलए वेस्टर्न थियेटर कमांड के कर्नल झांग शुइली ने देर रात बयान में कहा कि हम भारतीय पक्ष से खतरनाक कार्यों को तुरंत रोकने का अनुरोध करते हैं और उन कर्मियों की कड़ाई से जांच और दंडित करने की मांग करते हैं जिन्होंने गोलीबारी की। चीनी रक्षा मंत्रालय का कहना है कि भारत ने फिर उकसाने की कार्यवाही करते हुए अवैध रूप से एलएसी को पार करके गोलीबारी की है।