केंद्र सरकार ने मानी जैन समाज की मांग, सम्मेद शिखर तीर्थ स्थल ही रहेगा, नहीं बनेगा पर्यटन स्थल

Update: 2023-01-05 14:33 GMT

नईदिल्ली।  झारखंड सरकार की ओर से ' श्री सम्मेद शिखर' को पर्यटन स्थल बनाने के निर्णय पर चौतरफा विरोध को देखते हुए केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल बनाने के फैसले पर रोक लगा दी है। केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने  अधिसूचना जारी कर सभी पर्यटन और इको टूरिज्म एक्टिविटी पर रोक लगाने के निर्देश दिए हैं।

सरकार ने जारी नोटिफिकेशन में श्री सम्मेद शिखर तीर्थ स्थल की पवित्रता के प्रति पूर्ण प्रतिबद्धता दोहराई । 2019 की अधिसूचना के सभी आपत्तिजनक प्रावधान वापस लिए गए।पवित्रता बनाए रखने के लिए केंद्र सरकार द्वारा निगरानी समिति का भी गठन किया गया है। केंद्र सरकार ने राज्य को निर्देश दिया है कि इस समिति में जैन समुदाय के दो और स्थानीय जनजातीय समुदाय के एक सदस्य को स्थायी रूप से शामिल किया जाए। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने गुरुवार को दिल्ली में जैन समाज के प्रतिनिधियों के साथ मीटिंग के बाद ये फैसला लिया। केंद्रीय मंत्री ने जैन समाज को विशवास दिया कि सरकार सम्मेद शिखर की पवित्रता को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। 

विवाद का कारण - 


बता दें कि 2 अगस्त 2019 को केंद्रीय वन मंत्रालय द्वारा पारसनाथ पहाड़ी जंगल क्षेत्र के एक हिस्से को 'वन्य जीव अभ्यारण्य और पर्यावरण संवेदनशील क्षेत्र (इको सेंसेटिव ज़ोन) घोषित किया गया। इसके बाद 2 जुलाई 2022 को झारखंड सरकार ने भी इस क्षेत्र को पर्यटन स्थल बनाने की घोषणा कर दी।  अब नई अधिसूचना में केंद्र ने अपने सभी पुराने पुराने निर्देशों में संसोधन करते हुए समिति गठित की है। जिसके बाद अब झारखंड सरकार को इसे पर्यटन क्षेत्र से बाहर करने का फैसला लेना है।

विरोध प्रदर्शन - 




 

बता दें कि जैन समाज झारखंड सरकार द्वारा सम्मेद शिखर को पर्यटन क्षेत्र घोषित किए जाने से नाराज था।  इसे लेकर जैन समाज देश भर में प्रदर्शन कर रहा था। इस बीच जयपुर में अनशन पर बैठे जैन संत का निधन भी हो गया था. 72 साल के सुज्ञेयसागर महाराज अनशन पर थे। 

सम्मेद शिखर का महत्व - 

झारखण्ड का हिमालय कहे जाने वाले सम्मेद शिकार पर्वत जैन समाज के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।यहां जैन धर्म के 24 में से 20 तीर्थंकरों ने मोक्ष की प्राप्ति की। यहां पर 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ ने भी निर्वाण प्राप्त किया था।झारखंड के गिरिडीह जिले में पारसनाथ पहाड़ी पर स्थित श्री सम्मेद शिखरजी को पार्श्वनाथ पर्वत भी कहा जाता है।इस पहाड़ी पर टोक बने हुए हैं, जहां तीर्थांकरों के चरण मौजूद हैं. माना जाता है कि यहां कुछ मंदिर दो हजार साल से भी ज्यादा पुराने हैं।  श्रद्धालु सम्मेद शिखरजी के दर्शन करते हैं और 27 किलोमीटर के क्षेत्र में फैले मंदिरों में पूजा करते हैं।

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