नई दिल्ली/विशेष प्रतिनिधि। छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा स्वास्थ्य मंत्री टी.एस. सिंहदेव के बीच तनातनी लगातार बढ़ती जा रही है। दोनों के बीच का अंदरूनी मतभेद धीरे-धीरे सतह पर आने लगा है। इसका उदाहरण बघेल का सिंहदेव का कद छांटना है। वह भी ऐसे मुद्दे पर जिस पर चुनकर सरकार आई हैष सरकार के सबसे वरिष्ठ मंत्री की तरफ से किसानों के हित में बात कहने पर उन्हें सरकार के प्रवक्ता पद से हटा दिया गया। बघेल की तरफ से सिंहदेव को लेकर उठाए जा रहे यह कदम ढाई साल बाद मुख्यमंत्री बदलने के फार्मूले की असुरक्षा से बघेल के घिरे होने को दर्शाता है।
ढाई-ढाई साल का फार्मूला
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार गठन के समय मुख्यमंत्री पद को लेकर पैदा हुई उलझन को सुलझाने के लिए केन्द्रीय नेतृत्व द्वारा ढाई-ढाई साल का फार्मूला दिया गया था। जिसमें कहा जाता है कि पहले ढ़ाई साल का समय बघेल को दिया गया और बाकी के ढाई साल सिंहदेव को मुख्यमंत्री बनाने की बात हुई थी। इसी फार्मूले पर सहमति के बाद सरकार बन पाई थी। राज्य सरकार के एक साल पूरे हुए हैं। बाकी डेढ़ साल बचा है, जिसमेंं बघेल ऐसा प्रबंधन कर देना चाहते हैं, जिससे अगला ढाई साल का विकल्प खत्म हो जाय। बताया जाता है कि हाल में सिंहदेव द्वारा किसानों के बोनस की बात कही गई। इसमें उन्होंने साफतौर पर कहा कि किसानों के धान की अगली फसल आने से पहले 25 सौ रुपए प्रति क्विंटचल की दर से राशि खाता में जमा करा दी जाएगी। उनका कहना था कि यदि सरकार ऐसा नहीं करेगी तो वहअपने पद से इस्तीफा दें देंगे। के इस बयान से बघेल सकते में आ गए। एक तो राज्य के किसानों के बीच सिंहदेव की नई छवि बनी, दूसरा मंत्री के ऐसा कहने पर राज्य सरकार के लिए राशि देना अनिवार्य हो जाएगा। बस, बघेल ने तत्काल बयान को आपत्ति जनक ठहरा कर उन्हें सरकार के अधिकृत प्रवक्ता पद से हटा दिया। इसमें सबसे अहम बात ये है कि सिंहदेव लगातार बघेल की आंखों में खटक रहे हैं। क्योंकि वह ऐसे नेता हैं जो आगे चलकर बघेल के लिए संकट बनेंगे। लिहाजा, बघेल चाहते हैं कि उनका ढाई साल का समय पूरा होने तक सिंहदेव इसी तरह से विवाद से घिरते रहें, इससे उनके मुख्यमंत्री बनने का विकल्प समाप्त हो जाएगा। बहरहाल, छत्तीसगढ़ सरकार में एक-दूसरे को निपटाने की चल रही अंदरूनी कोशिश धीरे-धीरे सतह पर आने लगी है। जो जता रही है कि राज्य में भले दावा किया जा रहा हो, लेकिन सब कुछ ठीक नहीं है।